प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन करना कोई एहसान नहीं : सतीश महाना
लखनऊ, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि प्रकृति के संवर्धन और संरक्षण के लिए सभी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित दो दिवसीय नेशनल क्लाइमेट कांक्लेव- 2023 में श्री महाना ने मंगलवार को कहा "हम सब प्रकृति का लाभ तो ले रहे हैं पर उसके प्रति हमारा क्या योगदान है। इस बात पर विचार नहीं हो रहा है। जरूरत इस बात की है कि हम सब बढ़ती समस्या के समाधान में भागीदार बने। प्रकृति का संरक्षण और संवर्धन करना कोई एहसान नहीं है। हमारा अस्तित्व तब तक है जब तक हम प्रकृति के साथ समन्वय करके चलेंगे और तभी पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है।"
उन्होंने कहा कि प्रकृति से सब कुछ पाने और उसके अधिकारों पर अतिक्रमण करना कहाँ तक उचित है । जब इस सवाल पर विचार करेंगे तो समस्या का समाधान हो जाएगा। प्रकृति पर हमारा कितना अधिकार है इस बात पर भी विचार करने की जरूरत है।
सतीश महाना ने कहा कि जब से मानव ने प्रकृति का सम्मान करना बंद कर दिया तब से प्रकृति हमसे नाराज होने लगी है। पहले हम पेड़ पौधों और गंगा की पूजा करते थे। पर धीरे धीरे अब सब भूलते जा रहे हैं। हमने जब तक गंगा नदी की पूजा की तब तक गंगा जी हम पर प्रसन्न रही जब से हमने गंगा वह हमसे हमसे रूठ गई।
उन्होंने कहा कि प्रकृति का हमने सम्मान करना बन्द कर दिया तो प्रकृति भी हमसे दूर हो गई। यदि हम उस काल खण्ड की बात करें जिस समय पेड़-पौधों की पूजा होती थी। अच्छे पर्यावरण के लिए और अच्छे ऑक्सीजन के लिए ही हम पीपल के पेड़ के पास जाते है।
प्रकृति के बदलते स्वरूप पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होने कहा कि हम प्रकृति से केवल लेना नहीं बल्कि कुछ देना भी सीखें। बदलते समय में हमारी प्रवृत्ति सब कुछ पाने के लिए हो गयी है। इसके साथ ही प्रकृति पर हमारा कितना अधिकार है, इसके ऊपर विचार जिस समय कर लेंगे तो समस्या का समाधान हो जायेगा।
सतीश महाना ने कहा कि प्रकृति के प्रति हमारा कितना योगदान है और आने वाली पीढ़ी भी उसका लाभ ले सके, इसके ऊपर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, हम सब सुधार लेंगे, ये भी सम्भव नहीं है, लेकिन हम समस्या का समाधान करने का प्रयास करेंगे तो सब कुछ बदलने की संभावना बन सकती है।
कार्यक्रम में केंद्रीय वन पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के अलावा प्रदेश सरकार के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना, उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल और महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति और अधिकारी उपस्थिति थे।
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