स्वच्छ सर्वेक्षण 2023
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स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 : वाराणसी और प्रयागराज को राष्ट्रपति ने दिया पुरस्कार

नई दिल्ली के भारत मंडपम ने आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने स्वच्छता पर स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा की।

हाइलाइट्स :

  • भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने की स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा।

  • नई दिल्ली के भारत मंडपम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रदेश के नगर विकास मंत्री को प्रदान किया पुरस्कार।

  • स्वच्छता को लेकर योगी सरकार के प्रयासों का हुआ सम्मान, स्वच्छ गंगा सिटी के रूप में वाराणसी को पहला और प्रयागराज को मिला दूसरा स्थान।

  • पहली बार यूपी के दो शहरों को मिला स्वच्छता के लिए सर्वाेच्च पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले देश के 13 शहरों में से 02 यूपी के।

  • उत्तर भारत क्षेत्र में प्रदेश के तीन अन्य शहरों को पहली बार मिला क्षेत्रीय पुरस्कार।

  • नोएडा को मिला एक लाख से अधिक आबादी में क्लीन सिटी का राज्य स्तरीय पुरस्कार।

  • यूपी ने कचरा मुक्त शहरों में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन और रैंकिंग में जबरदस्त सुधार।

लखनऊ, उत्तर प्रदेश। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में उत्तर प्रदेश स्वच्छ प्रदेश के रूप में पहचाना जा रहा है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के परिणामों में भी इसकी झलक देखने को मिली है, जिसमे यूपी को विभिन्न पुरस्कार श्रेणियों में सम्मानित किया गया है। इनमें वाराणसी और प्रयागराज को स्वच्छ गंगा टाउन श्रेणी में सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया है। नई दिल्ली के भारत मंडपम ने आयोजित कार्यक्रम में भारत सरकार के आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने स्वच्छता पर स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा की। प्रदेश के नगर विकास मंत्री ए के शर्मा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों से पुरस्कार ग्रहण किए।

स्वच्छता में समर्पण के लिए मिला पुरस्कार

स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में प्रदेश के वाराणसी और प्रयागराज को स्वच्छ गंगा शहर के रूप में क्रमश: पहला और दूसरा स्थान मिला। इन दोनों शहरों को स्वच्छता में उनके समर्पण के लिए राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वाराणसी को थ्री स्टार गार्ब्रेज फ्री सिटी रेटिंग तथा प्रयागराज को वाटर प्लस सिटी का दर्जा भी मिला है। इसके अलावा देश में जोनल स्तर पर उत्तर भारत क्षेत्र में यूपी के तीन शहरों को क्लीन सिटी नार्थ जोन का भी पुरस्कार मिला। इनमें बरवर, अनूपशहर और गजरौला शामिल हैं। एक लाख से 10 लाख तक की आबादी में क्लीन सिटी का राज्य स्तरीय पुरस्कार नोएडा को मिला।

यूपी के 65 शहर कचरा मुक्त

इसके साथ ही जीएफसी और ओडीएफ परिणाम भी घोषित किए हैं, जिसमें इस वर्ष यूपी में 65 शहरों को कचरा मुक्त शहर के रूप में प्रमाणित किया गया है। जीएफसी शहरों में वन स्टार के 56, थ्री स्टार के 08 और फाइव स्टार का एक शहर शामिल हैं। यूपी इस वर्ष अनेक और कचरा मुक्त शहरों का प्रमाणन हासिल करने का लक्ष्य बना रहा है। इस वर्ष यूपी के सभी शहर ओडीएफ हो गए हैं। ओडीएफ की विभिन्न श्रेणी में 02 यूएलबी ने पहली बार वाटर प्लस प्रमाणन हासिल किया है। ओडीएफ की अन्य श्रेणी में 129 यूएलबी को ओडीएफ++ के रूप में प्रमाणित किया गया है। 435 यूएलबीएस को ओडीएफ+ के रूप में प्रमाणित किया गया है। इन सब श्रेणियों को मिलाकर यूपी के सभी शहर अब ओडीएफ हो गए हैं।

अगले साल और बेहतर प्रदर्शन का वादा

राष्ट्रपति के हाथों से राष्ट्रीय पुरस्कार लेने के बाद यूपी के नगर विकास मंत्री ए के शर्मा ने कहा कि यूपी ने एक इतिहास रच दिया है, क्योंकि यह पहली बार है कि प्रदेश के दो प्रमुख शहरों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले 13 शहरों में से 2 यूपी के ही हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के आशीर्वाद और सीएम योगी के मार्गदर्शन में हमने यूपी के शहरी प्रबंधन में बहुत बड़ा बदलाव लाया है। हम अगले साल और भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे।

दो वर्षों में आया बड़ा सुधार

नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि यूपी ने विगत दो वर्ष में जीएफसी और ओडीएफ में उल्लेखनीय प्रगति की है। जीएफसी यानी कचरा मुक्त शहरों के मामले में इस वर्ष यूपी में 65 शहरों को कचरा मुक्त शहर के रूप में प्रमाणित किया गया है। वर्ष 2021 में केवल 05 शहर ही जीएफसी थे। इस प्रकार, दो वर्षों में इसमें 13 गुना की वृद्धि हुई है। 02 यूएलबी ने पहली बार वाटर प्लस प्रमाणन हासिल किया है। इससे पहले एक भी यूएलबी को वाटर प्लस प्रमाणन नहीं मिला था। यह सर्वोच्च प्रमाणन है जो ओडीएफ++ के बाद मिलता है। 129 यूएलबी को ओडीएफ++ के रूप में प्रमाणित किया गया है। पिछले साल यह आंकड़ा 40 था और 2021 में मात्र 7। 435 यूएलबीएस को ओडीएफ+ के रूप में प्रमाणित किया गया है जबकि पिछले साल इनकी संख्या 411 थी और 2021 में महज 269।

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