सीएम योगी के निर्देश पर यूपीडा ने औद्योगिक केंद्रों के लिए स्थलों को किया चिन्हित।
आगरा-लखनऊ, पूर्वांचल, बुंदेलखंड, गोरखपुर लिंक एवं गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे लगेंगे उद्योग।
परियोजना पर अनुमानित 7 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करेगी योगी सरकार।
लखनऊ, उत्तर प्रदेश। योगी सरकार प्रदेश में नए-नए एक्सप्रेसवे बनाकर न सिर्फ प्रदेश की कनेक्टिविटी को बेहतर बना रही है, बल्कि अब इन एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक केंद्रों की स्थापना करके इसे औद्योगिक गलियारे के रूप में विकसित करने पर भी काम किया जा रहा है। इस संबंध में सीएम योगी के निर्देश पर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) ने औद्योगिक केंद्रों के लिए स्थलों को चिन्हित कर लिया है। योजना के अनुसार यूपीडा प्रदेश में 5 एक्सप्रेसवेज के किनारे औद्योगिक केंद्रों की स्थापना करेगा। इनमें आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे एवं गंगा एक्सप्रेसवे शामिल हैं। इस पर योगी सरकार अनुमानित 7 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करेगी।
शनिवार को ही यूपीडा ने एक उच्चस्तरीय बैठक में सीएम योगी के समक्ष इन पांचों एक्सप्रेसवेज के किनारे चिन्हित औद्योगिक गलियारों का विवरण प्रस्तुत किया। इसके अनुसार प्रदेश के कुल 12 जनपदों को जोड़ने वाले गंगा एक्सप्रेसवे पर 11 स्थलों को औद्योगिक गलियारे के लिए चुना गया है, जिसका कुल क्षेत्रफल 1522 हेक्टेयर है। इस पर करीब 2300 करोड़ के अनुमानित व्यय का अनुमान है। इसी तरह, 7 जनपदों को जोड़ने वाले बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे 6 स्थलों को चिन्हित किया गया है। इसका प्रस्तावित क्षेत्रफल 1884 हेक्टेयर है, जिस पर 1500 करोड़ से ज्यादा व्यय का अनुमान है।
इसी तरह, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे से जुड़े 10 जनपदों में 5 स्थलों का चयन किया गया है। इसका कुल क्षेत्रफल 532 हेक्टेयर है, जिसके विकास पर करीब 650 करोड़ का व्यय अनुमानित है। वहीं 9 जनपदों को जोड़ने वाले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर औद्योगिक गलियारे के लिए 5 स्थानों को चिन्हित किया गया है जिसका प्रस्तावित क्षेत्रफल 1586 हेक्टेयर है और अनुमानित व्यय 2300 करोड़ होने की संभावना है। पांचवां और अंतिम एक्सप्रेसवे गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे है। इसके 4 जनपदों में 2 स्थानों को औद्योगिक केंद्रों के लिए चुना गया है, जिसका कुल क्षेत्रफल 345 हेक्टेयर होगा और अनुमानित व्यय 320 करोड़ होने की संभावना है। कुल मिलाकर इन पांचों एक्सप्रेसवेज पर 30 स्थलों को चिन्हित किया गया है, जिसका कुल क्षेत्रफल 5800 हेक्टेयर से ज्यादा है।
यूपीडा की ओर से चिन्हित सभी 30 स्थलों से जुड़े 108 ग्रामों को प्रदेश सरकार की ओर से अधिसूचित किया जा चुका है। वहीं भूमि क्रय के लिए संबंधित 6 जिलाधिकारियों को 200 करोड़ रुपए भी जारी किए जा चुके हैं। साथ ही भूमि क्रय के लिए बुंदेलखंड औद्योगिक प्राधिकरण की तर्ज पर 1500 करोड़ रुपए अवमुक्त किए जाने का आदेश भी निर्गत किया जा चुका है। जनपद स्तर पर भूमि क्रय के लिए दरों का निर्धारण फिलहाल प्रक्रिया में है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश देश में सर्वाधिक एक्सप्रेसवे वाला राज्य है। प्रदेश में अभी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे, मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे क्रियाशील हैं। वहीं गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे, बलिया लिंक एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे, दिल्ली सहारनपुर देहरादूर एक्सप्रेसवे, गाजियाबाद कानपुर एक्सप्रेसवे और गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का निर्माण तेज गति से चल रहा है। जिस तरह यमुना एक्सप्रेसवे पर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ ही फिल्म सिटी, टॉय पार्क, लॉजिस्टिक पार्क समेत विभिन्न कॉमर्शियल और रेजीडेंशियल स्कीम्स के माध्यम से औद्योगिक केंद्र बनाए जा रहे हैं, उसी तर्ज पर अन्य एक्सप्रेसवेज के किनारे इसी तरह की गतिविधियों को गति दिए जाने की संभावना है।
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