उत्तराखंड नगरिय निकाय चुनाव को लेकर एक और जनहित याचिका दायर, कोर्ट 9 जनवरी को करेगी सुनवाई
हाइलाइट्स :
नगरिय निकाय चुनाव को लेकर कोर्ट में लगाई गई है दो याचिका ।
नगरिय निकायों का कार्यकाल 02 दिसंबर, 2023 को हो गया खत्म ।
सरकार की ओर से निकाय चुनावों के लिये नहीं हुई प्रक्रिया शुरू ।
उत्तराखंड। नगरिय निकाय चुनाव में देरी और उन्हें प्रशासकों के हवाले करने का मामला सरकार की गले की फांस बनता जा रहा है। इस मामले को एक और जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। अदालत इस प्रकरण में मंगलवार 09 जनवरी को सुनवाई करेगी। नैनीताल के वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन साह की ओर से इस मामले को जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में 30 नवम्बर, 2023 की अधिसूचना को चुनौती दी गई है। इससे पहले इसी प्रकरण को एक अन्य याचिकाकर्ता मोहम्मद अनीस की ओर चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता साह की ओर से कहा गया कि संविधान में निकाय चुनावों के संदर्भ में विस्तृत व्याख्या की गयी है। संविधान की धारा 243 (यू) में प्रावधान है कि सरकार प्रदेश में निकायों के पांच साल पूरे होने से पूर्व चुनाव कराये। यह भी कहा गया कि अपरिहार्य स्थिति में ही निकायों को प्रशासकों के हवाले किया जाना चाहिए। यदि निकायों का परिसीमन और आरक्षण तय नहीं हो पाया है तो उस स्थिति में पुराने आरक्षण और परिसीमन को चुनाव का आधार बनाया जा सकेगा। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार की ओर से निकायों में प्रशासक बैठाये जाने संबंधी 30 नवम्बर को जारी अधिसूचना असंवैधानिक है। प्रदेश में ऐसी कोई अपरिहार्य या आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है।
इस मामले की सुनवाई सोमवार को न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की युगलपीठ में हुई। अदालत ने इसे मोहम्म्द अनीस नामक जनहित याचिका के साथ संलग्न कर दिया। दोनों याचिकाओं पर मंगलवार, 09 नवम्बर को सुनवाई होगी। उल्लेखनीय है कि इसी प्रकरण को याचिकाकर्ता अनीस ने अक्टूबर, 2023 में एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि निकायों का कार्यकाल 02 दिसंबर, 2023 को खत्म हो रहा है। सरकार की ओर से निकाय चुनावों के लिये अभी तक प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है।
सरकार निकाय चुनावों को टालना चाहती है। इसके बाद युगलपीठ ने पंचायती राज सचिव को 09 जनवरी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के निर्देश दे दिये थे। गौरतलब है कि गत 02 दिसंबर को प्रदेश में निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया है। सरकार निकाय चुनाव कराने में असफल रही है। इसलिये पिछले साल 30 नवम्बर को सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर सभी निकायों को प्रशासकों के हवाले करने के निर्देश दिये।
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