बंगाल में कालाजार की वापसी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा : विशेषज्ञ
बंगाल में कालाजार की वापसी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा : विशेषज्ञSocial Media

बंगाल में कालाजार की वापसी मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा : विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने पश्चिम बंगाल में कालाजार की वापसी को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा करार दिया है।

कोलकाता। विशेषज्ञों ने पश्चिम बंगाल में कालाजार की वापसी को मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा करार दिया है। प्रोफेसर डॉ. नरेश पुरोहित ने शनिवार को बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा 11 जिलों में कालाजार के 60 से अधिक मामलों का पता लगाया गया है। ज्यादातर मामले राज्य के उत्तरी हिस्से में सामने आए हैं। डॉ. पुरोहित सदस्य के तौर पर वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ विजिटिंग प्रोफेसर हैं।

राज्य के 11 जिलों में कालाजार के मामलों में वृद्धि पर अपनी चिंता जाहिर करते हुए, प्रसिद्ध महामारी वैज्ञानिक डॉ. पुरोहित ने शनिवार को यहां यूनीवार्ता को बताया कि जिन जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, उनमें दार्जिलिंग, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर और कलिम्पोंग शामिल हैं। राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ. पुरोहित ने कहा कि विसरल लीशमैनियासिस के रूप में जाना जाने वाला कालाजार प्रोटोजोआ परजीवी के कारण होने वाली एक बीमारी है, जो यकृत और प्लीहा जैसे अंगों को संक्रमित कर देती है। यह रेत तथा बालों वाली तथा भूरे-भूरे पंख वाली मक्खियों से फैलती है। इन मक्खियों को फैलने से रोकने के लिए कीटनाशकों के इनडोर अवशिष्ट छिड़काव (आईआरएस) का उपयोग ही एकमात्र तरीका है।

उन्होंने बताया कि कालाजार भारत सहित दुनिया के लगभग 100 देशों को प्रभावित करने वाली एक उपेक्षित उष्ण कटिबंधीय बीमारी है। उन्होंने बताया कि उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग संचारी रोगों का एक विविध समूह है, जो 149 देशों में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में व्याप्त है। उन्होंने बताया कि भारत में यह बीमारी ज्यादातर उन लोगों में पायी जाती है, जिन्होंने बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में काफी समय बिताया है। प्रसिद्ध चिकित्सक पुरोहित ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में हुई कई नई प्रगतियों ने कालाजार के खिलाफ लड़ाई में मानव समाज की सहायता की है।

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