अनिवार्य मतदान विधेयक क्या है? इससे पहले कब पेश हुआ है इस तरह का विधेयक?
राज एक्सप्रेस। हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा अनिवार्य मतदान विधेयक-2022 पर संविधान के अनुच्छेद 117 के खंड 3 के तहत विचार करने की सिफारिश की है। कुछ समय पहले भाजपा सांसद दीपक प्रकाश ने यह प्राइवेट विधेयक राज्यसभा में पेश किया था। जिसके बाद राष्ट्रपति ने विचार करने की अनुशंसा कर दी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह अनिवार्य मतदान विधेयक-2022 क्या है? इससे पहले इस तरह का बिल कब पेश किया गया था?
क्या है अनिवार्य मतदान विधेयक-2022?
22 जुलाई 2022 को झारखंड भाजपा के अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने यह प्राइवेट विधेयक पेश किया है। उनका कहना है कि हमारे देश में करीब 60 फीसदी से ज्यादा लोग मतदान नहीं करते हैं। इस विधेयक में वोट नहीं डालने पर सजा का प्रावधान है ओर लगातार वोट डालने पर प्रोत्साहन का भी प्रस्ताव दिया गया है।
इससे पहले कब पेश हुआ था ऐसा विधेयक?
इसके पहले 12 जुलाई 2019 को भाजपा के एक सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने भी अनिवार्य मतदान विधेयक-2019 पेश किया था। लेकिन कुछ समय बाद जब केंद्र सरकार ने कहा था कि इस तरह के प्रावधान लागू करना व्यवहारिक नहीं हैं, तो सांसद ने इस विधेयक को वापस ले लिया था। ऐसा नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ है। इसके पहले भी 16 प्राइवेट बिल लोकसभा/राज्यसभा में पेश किए जा चुके हैं। इनमें कुछ या तो पास नहीं हुए या फिर कुछ वापस ले लिए गए।
कब पेश हुआ था पहला अनिवार्य मतदान विधेयक?
साल 1998 के दौरान कांग्रेस सांसद टी। सुब्बारामी रेड्डी पहली बार इस तरह के विधेयक को सदन में लेकर आए था। इस विधेयक में यह प्रस्ताव दिया गया था कि चुनाव आयोग हर चुनाव क्षेत्र में मोबाइल बैलेट वैन की व्यवस्था करेगा। इसके चलते जो लोग पोलिंग बूथ पर जाकर वोट नहीं डाल सकते उन्हें भी सुविधा मिलेगी। आपको बता दें कि इस समय देश में बैलट पेपर से मतदान होता था। इस बिल में भी वोट नहीं डालने पर सजा और डालने पर प्रोत्साहन का प्रस्ताव था।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।