जानिए 4 मार्च को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस? क्या है इसका महत्व

4 मार्च 1966 को श्रम मंत्रालय ने नेशनल सेफ्टी काउंसिल की स्थापना की थी। इसी संगठन ने आगे चलकर साल 1972 में 4 मार्च का दिन राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया।
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस
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राज एक्सप्रेस। हर साल हमारे देश में 4 मार्च का दिन National Safety Day यानी राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को रोकना और इस दौरान अपनाएं जाने वाले सुरक्षा उपकरणों के बारे में लोगों को जागरूक करना रहता है। साथ ही यह दिन देश के उन वीर जवानों को भी समर्पित है, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए दिन-रात सीमा पर खड़े हुए हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का इतिहास :

आपको बता दें कि हमारे देश में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने की शुरुआत 4 मार्च 1972 को हुई थी। साल 1966 में इसी दिन भारत सरकार के श्रम मंत्रालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद यानी नेशनल सेफ्टी काउंसिल की स्थापना की थी। इसी संगठन ने आगे चलकर साल 1972 में 4 मार्च का दिन राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया था।

नेशनल सेफ्टी काउंसिल क्या है?

दरअसल नेशनल सेफ्टी काउंसिल एक गैर सरकारी और गैर लाभकारी संगठन है। यह संगठन हमारे देश के लोगों की सुरक्षा के लिए काम करता है। इसकी स्थापना के बाद से ही औद्योगिक और अन्य प्रकार की दुर्घटनाओं में कमी आई है। यह संगठन लोगों को अपने काम के दौरान सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने के लिए प्रेरित करता है। उन्हें सुरक्षा की बारीकियों के बारे में अवगत कराता है।

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस का उद्देश्य :

हमारे देश में कई ऐसे सेक्टर हैं, जहां काम के दौरान कर्मचारियों की सुरक्षा को खतरा होता है। कई बार कर्मचारी काम के दौरान हादसे का शिकार हो जाते हैं और अपनी जान गवां बैठते हैं। किसी समय औद्योगिक काम के दौरान ऐसी घटनाएं होना आम थी। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। ताकि ऐसी जगहों पर कर्मचारियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जा सकें। इस दिन देश के नागरिकों की सुरक्षा के साथ-साथ उन्हें बीमारियों से सुरक्षा और महिलाओं की सुरक्षा करने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।

क्यों जरूरी है राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस?

फैक्टरी सलाह सेवा और श्रम संस्थान की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 से साल 2020 के बीच भारत के पंजीकृत कारखानों में हर दिन तीन लोगों की जान दुर्घटना के कारण गई है। साथ ही इस दौरान रोजाना 11 लोग घायल भी हुए हैं। साल 2018 से साल 2020 के बीच 3331 मौतें दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण जरूरत से ज्यादा काम, ट्रेनिंग की कमी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम ना होना है। यही कारण है कि राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस के जरिए इन कारखानों के मालिकों और कर्मचारियों को जागरूक किया जाता है।

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