विश्व हैलो दिवस : क्यों मनाया जाता है ‘विश्व हैलो दिवस’? जानिए इससे जुड़े रोचक तथ्य
राज एक्सप्रेस। कहा जाता है कि संघर्ष को खत्म करने का सबसे आसान और अच्छा उपाय बातचीत है। यही कारण है कि पूरी दुनिया बातचीत के जरिए विवाद को खत्म करने पर जोर देती है। बातचीत शुरू करने के लिए सबसे पहले एक-दूसरे का अभिवादन ‘हैलो’ यानी नमस्कार बोलकर किया जाता है।ऐसे में हिंसा और अहंकार को खत्म कर लोगों में आपसी मेलजोल बढ़ाने के लिए हर साल 21 नवंबर को विश्व हैलो दिवस मनाया जाता है। भारत में इसे विश्व नमस्कार दिवस भी कहा जाता है। तो चलिए आज हम जानेंगे कि विश्व हैलो दिवस क्यों मनाया जाता है? और साथ ही हम ‘हैलो’ शब्द के प्रयोग से जुड़ी रोचक कहानी के बारे में भी जानेंगे।
विश्व हैलो दिवस का इतिहास :
साल 1973 में इजरायल और मिस्र के बीच लंबे समय से चला आ रहा संघर्ष समाप्त हुआ था। इस संघर्ष में हजारों लोगों की जान चली गई थी। ऐसे में संघर्ष को बातचीत के जरिए खत्म करने की पहल की गई। इजरायल और मिस्र के बीच बातचीत और शांति स्थापित करने के लिए जो पहला शब्द बोला गया था, वह था - ‘हैलो’। यही कारण है कि 21 नवंबर 1973 से हर साल ‘विश्व हैलो दिवस’ मनाया जाता है। आज दुनिया के 180 देशों में यह दिवस मनाया जाता है।
विश्व हैलो दिवस का उद्देश्य :
दरअसल यह दिवस लोगों के बीच कटुता को खत्म करके मेलजोल बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में अंहकार, घमंड, शर्म, श्रेष्ठता, हीनता को खत्म करके हैलो बोलने की परम्परा को जन्म देना है। ताकि लोगों के बीच व्यक्तिगत संवाद विकसित हो सके।
कहां से आया हैलो शब्द?
कहा जाता है कि यह शब्द फ्रांसीसी या जर्मन शब्द ‘होला’ से लिया गया है। होला का मतलब होता है, ‘कैसे हो।’ समय के साथ-साथ बदलते लहजे के चलते होला से हालो, हालू और फिर हैलो हो गया। वहीं फ़ोन पर सबसे पहले हैलो बोलने की शुरुआत साल 1877 में हुई थी, जब थॉमस एडिसन ने एक प्रस्ताव रखा कि टेलीफ़ोन पर सबसे पहले हैल’ बोलना चाहिए।
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