लोकसभा चुनाव 2024
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लोकसभा चुनाव 2024 : ओडिशा में नहीं बनी बीजेडी-बीजेपी की बात

लोकसभा चुनाव 2024 :15 साल बाद होने वाले गठबंधन की अफवाहों के बाद आज ओडिशा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मनमोहन सामल ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों को लेकर बड़ा बयान दिया है।

भुवनेश्वर, ओडिशा। ओडिशा में 2009 के बाद 2024 के आम चुनावों में होने वाले बड़े गठबंधन की अटकलों के बाद खबर आ रही है कि भाजपा लोकसभा सहित विधानसभा में बीजेडी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद मनमोहन सामल ने सोशल मीडिया साइट X के जरिए बताया कि उनकी पार्टी कलिंग की सभी 21 लोकसभा और 147 विधानसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।

मनमोहन सामल ने अपने ट्वीट में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी का तमाम राष्ट्रीय मुद्दों पर केंद्र सरकार का सहयोग करने का आभार व्यक्त करते हुए ओडिशा सरकार पर बड़ा आरोप भी लगा दिया। सामल ने लिखा कि

"विगत 10 वर्षों से, नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) पार्टी केंद्र की माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार के अनेक राष्ट्रीय महत्व के प्रसंगों में समर्थन देती आई है, इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। लेकिन आज ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुँच पा रही हैं, जिससे ओडिशा के गरीब बहनों-भाइयों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ओडिशा-अस्मिता, ओड़िसा-गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े अनेकों विषयों पर हमारी चिंताएं हैं।"

मनमोहल सामल का ट्वीट
मनमोहल सामल का ट्वीट RE

नवीन पटनायक पर आरोप लगाने के बाद प्रदेशाध्यक्ष मनमोहन सामल ने बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में विकसित ओडिशा बनाने के लिए इस बार भी लोकसभा की सभी 21 सीटों और विधानसभा की सभी 147 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी।

2009 आम चुनावों के पहले टुटा था गठबंधन

1997 में बीजू जनता दल की स्थापना और बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद 1998 के आम चुनावों में पहले बार बीजेडी और बीजेपी के बीच गठबंधन हुआ था। इसके बाद के दो और आम चुनावों तक बीजू जनता दल ने भाजपा का किया था जहाँ दोनों ने ओडिशा की विधानसभा चुनावों को भी सीट शेयरिंग के फॉर्मूले के साथ लड़ा था। हालाँकि,, 2009 के राज्य विधानसभा और चुनाव से पहले बीजेडी ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था। इस गठबंधन के टूटने का कारण हिंदुत्त्ववादी संगठनों का मध्य ओडिशा में रहने वाले ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2007 और 2008 में हुए घातक कंधमाल दंगों (2008 Kandhamal Riots) में शामिल होना था लेकिन राजनीति के जानकारों के हिसाब से गठबंधन टूटने का कारण दोनों पार्टियां सीटों को लेकर किसी समझौते न पहुंचना था।

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