बदलते मौसम और धुएं से करें बचाव
बदलते मौसम और धुएं से करें बचावसांकेतिक चित्र

हर्षोल्लास के साथ मनाए त्यौहार, लेकिन बदलते मौसम और धुएं से करें बचाव

भोपाल, मध्यप्रदेश : मौसम का मिजाज बदलने के कारण इन दिनों सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या दो गुना हो गई है। लोग बुखार, निमोनिया, अस्थमा और ऑक्सीजन कम होने के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं।

भोपाल, मध्यप्रदेश। राजधानी का मौसम लगातार रंग बदल रहा है, जो लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। दिन में मौसम शुष्क है और पारा हाई है, वहीं शाम ढ़लते ही पारा कम होने से ठंडक महसूस हो रही है। मौसम वैज्ञानियों का कहना है कि मानसून विदा हो चुका है, लेकिन विदाई के बाद भी सिस्टम बनते रहते हैं और उसके प्रभाव से मौसम में बदलाव होता है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि मौसम का मिजाज बदलने के कारण इन दिनों सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या दो गुना हो गई है। लोग बुखार, निमोनिया, अस्थमा और ऑक्सीजन कम होने के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं। दिन में मौसम सामान्य रहता है और शाम ढ़लने पर हल्की ठंड़क होने लगती है। ऐसे में वो लोग जो दिन में नामर्ल कपड़े पहन काम से बाहर जाते हैं, शाम को ठंड की चपेट में आ जाते है। इस मौसम में ठंड और ठंडे पदार्थों के सेवन से बचें।

दीपावली का त्यौहार आ गया, पटाखें के धुंए से भी श्वास संबंधित रोगियों को परेशानी बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम बदलने से होने वाले प्रभाव और पटाखों के धुंए से बचें, एलर्जी और अस्थमा के मरीज अपना विशेष ख्याल रखें। अलसुबह और शाम बाद ठंडक बढ़ने पर गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करें। दीपावली का त्योहार अच्छे से मनाए लेकिन पटाखों के धुंए से बचाव जरुर करें।

राज एक्सप्रेस ने शहर के वरिष्ठ चिकित्सक श्वास एवं क्रीटिक्ल केयर विशेषज्ञ डॉ. पीएन अग्रवाल से चर्चा कर जाना कि इस मौसम में लोग सेहत का ख्याल कैसे रखें।

Q

मौसम में आए बदलाव के बाद सर्दी-जुकाम और अन्य श्वास संबंधी बीमारी के मरीजों की कितनी बढ़ी है?

A

मौसम बदलने के कारण सर्दी-जुकाम के मरीजों की संख्या दो गुना बढ़ गई है। लोग बुखार, निमोनिया, अस्थमा और ऑक्सीजन कम होने के कारण अस्पताल पहुंच रहे हैं।

Q

सर्दी-खांसी बढ़ने पर कुछ लोगों को शंका भी रहती है कि कहीं कोरोना तो नहीं है?

A

हां ये सही है, कोरोना के बाद से सर्दी-जुकान बढऩे या जल्दी ठीक नहीं होने से कुछ लोगों को शंका होती है कि कहीं कोरोना तो नहीं है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है, यदि लगता है तो टेस्ट करवाते हैं। उसमें से भी ज्यादातर नेगेटिव ही आ रहे हैं। लेकिन बचाव रखें और तबियत खराब हो तो चिकित्सक की सलाह लेकर इलाज करें।

Q

यह मिथ है या सही कि एलोपेथिक दवाई लेने से कफ रूक जाता है?

A

यह मिथक है, डॉक्टर और दवा बीमारी का इलाज करने के लिए है। यदि गला खराब होने या और कोई दूसरी शारीरिक समस्या होने पर इलाज नहीं लेंगे तो समस्या बढ़ जाएगी। डॉक्टर भी पहले बचाव की ही सलाह देते हैं, बीमार होने पर ही दवाई खाने की सलाह देते हैं। यदि आप सर्दी-खांसी का समय पर इलाज नहीं लेंगे और समस्या ज्यादा दिन बनी रहती है तो आपका रोज का काम प्रभावित होगा। इसके बढऩे से परेशानी बढ़ भी सकती है।

Q

लोग क्या एहतियात बरतें ?

A

मौसम बदलने से सर्दी-जुकाम के मरीज बढ़े हैं, सांस संबंधी मरीजों को इस मौसम में परेशानी होती है। दीपावली पर पटाखें के धुंए से भी इन मरीजों को दिक्कत हो सकती है। इसलिए इससे बचें। गला खराब है तो तला-भूना, मसालेदार , फ्रिज का रखा ठंड़ा खाना खाने से परहेज करें। गला खराब है तो गुनगुने पानी से कुल्ला करें और भाप लें। बुखार या अन्य कोई समस्या हो तो चिकित्सक से परामर्श लें।

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