लांग टर्म में वेटलाॅस के लिए अच्‍छी नहीं है क्रैश डाइट, शुरू करने से पहले जान लें क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट

क्रैश डाइट में व्‍यक्ति खुद को भूखा रखकर वजन कम करने की कोशिश करता है। स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को एक दिन मे 2500 कैलोरी की जरूरत होती है, लेकिन इस डाइट में व्‍यक्ति 700 से 900 कैलोरी ही ले पाता है।
लांग टर्म में वेटलाॅस के लिए अच्‍छी नहीं है क्रैश डाइट
लांग टर्म में वेटलाॅस के लिए अच्‍छी नहीं है क्रैश डाइटSyed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स :

  • क्रैश डाइट में करना पड़ता है लो कैलोरी का सेवन।

  • वेटलॉस के लिए एक हफ्ते तक की फॉलो करें क्रैश डाइट।

  • लंबे वक्‍त तक भूखे रहने से हो सकता है स्‍ट्रोक।

  • क्रैश डाइट के दौरान नारियल पानी पीते रहें।

राज एक्सप्रेस। हाल ही में बोनी कपूर ने पत्नी श्रीदेवी की मौत का राज खोलते हुए बताया है कि स्लिम और अच्‍छा दिखने के लिए एक्‍ट्रेस क्रैश डाइट फॉलो करती थीं। जिस कारण वह घंटों भूखा रहती थीं। बता दें कि श्रीदेवी अकेली ऐसी शख्‍स नहीं थी, जिन्‍हाेंने वेट मेंटेन करने के लिए क्रैश डाइट का सहारा लिया। बल्कि आजकल कई लोग वजन घटाने के लिए इस डाइट को फॉलो कर रहे हैं। वजन कम करने का यह तरीका काफी आसान लग सकता है, लेकिन ये आपके स्‍वास्‍थ्‍य पर बुरा असर डाल सकता है। हालाँकि, अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जो खुद को भूखा रखकर या अपने शरीर की जरूरत से कम मात्रा में खाकर अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं, तो बेहतर होगा कि पहले आप अपने शरीर पर क्रेश डाइट के नकारात्मक प्रभावों के बारे में जान लें। इस मामले में हमने संबंध हेल्‍थ फाउंडेशन की हेल्‍थ एंड न्यूट्रिशन एक्‍सपर्ट डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव से बात की और जाना कि कैसे क्रैश डाइटिंग आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक है।

क्या है क्रैश डाइटिंग

यह डाइटिंग का ही एक प्रोसेस है, जिसमें डाइटिंग करने वाला व्‍यक्ति बहुत कम कैलोरी यानी केवल स्‍टीम्‍ड या बॉइल फूड खाकर वजन कम करता है। एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को एक दिन में 2500 कैलोरी की जरूरत होती है, जबकि क्रैश डाइट वाला व्‍यक्ति एक दिन में 700 से 900 कैलोरी का ही इंटेक करता है।

क्रैश डाइट कब तक सेफ है

मान लीजिए आप किसी खास मौके या कुछ समय के लिए वजन घटाना चाहते हैं, तो क्रैश डाइट बहुत अच्‍छा विकल्‍प है और सेफ भी है। लेकिन इसे  एक हफ्ते से ज्‍यादा दिनों तक फॉलो नहीं करना चाहिए। क्‍योंकि इससे हाइपोग्लाइसीमिया लेवल लो हो जाता है, जिससे स्‍ट्रोक का खतरा बढ़ता है। एक्‍सपर्ट की सलाह है कि अपने आप को भोजन से वंचित न करें, इसके बजाय स्‍वस्‍थ और पौष्टिक भाेजन चुनकर अपने शरीर को फिट रखें।

क्रैश डाइट के साइड इफेक्‍ट

हो सकता है डिहाइड्रेशन

क्रैश डाइट आपकी बॉडी में डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि क्रैश डाइट मुख्य रूप से प्रोटीन और फैट से बनी होती है। जैसे ही शरीर इन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का उपयोग करना शुरू करता है, तो शरीर में पानी की कमी हो जाती है।

प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाएं

एक्सपर्ट कहती हैं कि क्रैश डाइटिंग की पूरी प्रोसेस में व्‍यक्ति विटामिन और मिनरल्‍स का सेवन करना छोड़ देता है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। इसके अलावा अगर आप अपने आहार से कैलोरी और फैट को पूरी तरह से हटा देते हैं, तो इनकी कमी से सेहत खराब हो सकती है।

हृदय संबंधी समस्या

कहने को क्रैश डाइट की मदद से ब्‍लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर लेवल को कम किया जा सकता है, लेकिन जब हार्ट में फैट लेवल बढ़ता है, तो इसका सीधा असर हृदय पर होता है। इसलिए हार्ट प्रॉब्‍लम से जूझ रहे लोगों को क्रैश डाइट शुरू करने से पहले एक्‍सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

पाचन संबंधी परेशानियां

बहुत कम कैलोरी भी पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती है। अगर आपको अपनी डाइट में सही और जरूरी पोषक तत्‍व नहीं मिल रहे तो इससे बॉवेल मूवमेंट गड़बड़ा सकता है। फाइबर की कमी से कब्ज की संभावना भी बढ़ती है।

एनर्जी लेवल घटाए

यह सही है कि क्रेश डाइट से वजन कम होता है, लेकिन इसका ज्‍यादातर वजन शरीर में ग्लाइकोजन और पानी की कमी से होता है। जिससे व्‍यक्ति को थकान महसूस होने लगती है। इसी तरह क्रैश डाइट करते समय लिए गए विटामिन और पोषक तत्‍वों की कमी के चलते हमारा शरीर ऊर्जा का बेहतर उत्पादन नहीं कर पाता, जिससे सुस्ती आती है।

क्रैश डाइट करते वक्‍त इन बाताें पर दें ध्‍यान

  • न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, जो लोग एक हफ्ते भी क्रैश डाइट फॉलो करते हैं, उन्‍हें कैलोरी का ध्‍यान  रखना चाहिए।

  • डाइट में नारियल पानी जरूर शामिल करें।

  • एक हफ्ते तक डाइट करने के बाद अलग-अलग डाइट को फॉलो कर सकते हैं।

  • जीरो शुगर पर जा रहे हैं, तो चीनी के बजाय शहद का इस्‍तेमाल करें।

  • फाइबर से भरपूर फलों का सेवन करते रहें।

  • क्रैश डाइट करने वाले लोगों को जिमिंग करने से बचना चाहिए। इस दौरान स्‍ट्रोक आने का जोखिम बढ़ सकता है।

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