84 प्रतिशत लोग सुबह जागने के 15 मिनट के भीतर फोन चैक करते हैं।
2010 से 2023 तक स्मार्टफोन पर बिताया गया समय दोगुना से भी ज्यादा हो गया।
लोग दिन में 80 बार अपना फोन चैक करते हैं।
बचने के लिए सोने से पहले फोन को फ्लाइट मोड पर रखें।
राज एक्सप्रेस। स्मार्टफोन हमारी जिन्दगी का बेहद जरूरी हिस्सा बन गया है। हर समय, हर पल हमें फोन की जरूरत महसूस होती है। रात में सोने से पहले तो लोग एक से दो घंटा फोन चलाते हैं। सुबह जागने के बाद का हाल भी कुछ ऐसा ही है। ज्यादातर लोग सुबह सुबह सबसे पहले अपना फोन चैक करते हैं। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में लगभग 84 प्रतिशत स्मार्टफोन यूजर्स जागने के 15 मिनट के भीतर अपना फोन देखते हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि जागने का लगभग 31 प्रतिशत समय लोगों का स्मार्टफोन पर बीतता है और लोग दिन में कम से कम 80 बार अपना डिवाइस चैक करते हैं। वास्तव में आजकल लोगों का अपने डिवाइस पर कंट्रोल नहीं है। यह बुरी आदत उनकी हेल्थ और प्रोडक्टिविटी पर गलत असर डाल रही है। क्या आपने कभी सोचा है कि जब आप जागने के कुछ मिनटों के भीतर अपना फोन चैक करते हैं तो आपके शरीर पर क्या असर पड़ता है। आइए जानते हैं यहां।
रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन पर बिताया जाने वाला समय 2010 में लगभग दो घंटे से बढ़कर लगभग 4.9 घंटे हो गया है। जबकि 2010 में, फोन पर बिताया गया 100% समय टेक्स्ट या कॉल के जरिए लोगों से बातचीत या काम पर खर्च होता था। 2023 में यह केवल 20-25 प्रतिशत रह गया। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि दो में से एक बार लोग डिवाइस की जरूरत से ज्यादा आदत के कारण फोन उठाते हैं। दिलचस्प बात है कि 18-24 आयु वर्ग के लोग 35 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के मुकाबले इंस्टाग्राम रील्स, यूट्यूब शॉर्ट्स और वीडियो को देखने में ज्यादा समय बिता रहे हैं।
जागने के तुरंत बाद अपने फोन चैक करना आपके दिन की शुरुआत करने का एक अच्छा तरीका नहीं है। सुबह सबसे पहले फोन खोलते ही आपको कई मैसेज और ईमेल मिल जाते हैं। इनमें से कुछ पॉजिटिव एनर्जी देते हैं, तो कुछ दिमाग में टेंशन। इन्हें देखकर आपका तनाव बढ़ता है और दिन की शुरुआत शांत मन से नहीं हो पाती।
स्वीडन में गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में पाया गया कि मोबाइल फोन की हाई फ्रिक्वेंसी सीधे तौर पर युवा पुरुषों में नींद की गड़बड़ी और डिप्रेशन के लक्षणों से जुड़ी है। वहीं सुबह-सुबह फोन देखने से महिलाओं में भी डिप्रेशन का रिस्क बढ़ता है।
आप शायद नहीं जानते, लेकिन जागते ही सीधे फोन हाथ में लेने से न केवल आपका ध्यान भटकता है,बल्कि आपका पूरा दिन काम पर फोकस नहीं रह पाता। सुबह अपना फोन चैक करने से मस्तिष्क की कामों को प्राथमिकता देने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। जिससे आप कोई भी काम ठीक समय पर नहीं कर पाते।
गूगल के फॉर्मर डिजाइन एथिसिस्ट और सेंटर फॉर ह्यूमन टेक्नोलॉजी के फाउंडर ट्रिस्टन हैरिस ने बताया था कि जागने पर बार-बार फोन देखने से आपका समय और बर्बाद होता है। आपको ये बुरी लत पड़ जाती है, तो जब आप फोन नहीं देखेंगे, तो ऐसा लगता है कि जैसे आप कुछ मिस कर रहे हैं।
कई लोग सुबह सुबह बिस्तर पर सिर के नीचे डबल तकिया रखकर स्मार्टफोन चलाते हैं। ऐसा लंबे समय तक करने से नेक सिंड्रोम, आंखों की कमजोर रोशनी और मोटापे का खतरा बढ़ सकता है।
सोने से पहले मोबाइल डेटा बंद कर दें।
अपने फोन को फ्लाइट मोड पर रख देना चाहिए, ताकि जागने पर तुरंत नए मैसेज और इंफॉर्मेशन का सामना ना करना पड़े।
आप अपने स्मार्टफोन पर अलार्म सेट करने से भी बच सकते हैं। इसके बजाय क्लासिक अलार्म घड़ी का यूज करके अपने 'वेक-अप कॉल' को कस्टमाइज़ करना अच्छा है।
अपनी सुबह की शुरुआत स्क्रॉल से करने के बजाय, कुछ स्वस्थ आदतों के साथ करें। जैसे आप सुबह सुबह ध्यान करें , एक गिलास गर्म पानी पिएं। इसके अलावा एक्सरसाइज करने के साथ ही अपने जरूरी कामों को पूरा करने में समय बिताने से फोन का ख्याल भी नहीं आएगा।
स्मार्टफोन के उपयोग से पूरी तरह से बचना मुमकिन नहीं है, लेकिन अपने फोन के उपयोग को कम जरूर कर सकते हैं। यहां बताए गए टिप्स को अपने डेली रूटीन में फॉलो करें और आप अपने दिन की शुरुआत स्वस्थ तरीके से करें।
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