मीजल्स के खतरे से निपटने के लिए लगवाएं MMR वैक्‍सीन, जानें कब और कैसे लगवाना है

बुखार आए या शरीर पर दाने दिखें, तो ये मीजल्स यानी खसरे का संकेत है। यह संक्रामक बीमारी है, जो व्‍यक्ति के खांसने और छींकने से फैलती है। इससे बचने के लिए एमएमआर वैक्‍सीन लगवाने की सलाह दी जाती है।
मीजल्स के खतरे से निपटने के लिए लगवाएं MMR वैक्‍सीन
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हाइलाइट्स :

  • मीजल्स से बचाव के लिए एमएमआर वैक्‍सीन जरूरी।

  • एमएमआर की दो खुराक मिलना जरूरी।

  • शॉट के बाद हल्‍के बुखार और दानों की संभावना।

  • एलर्जिक होने पर न लगवाएं एमएमआर वैक्‍सीन।

राज एक्सप्रेस। मध्‍यप्रदेश के मैहर में मीजल्स ने दो बच्‍चों की जान ले ली। जिसके बाद अब स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी लोगों के बीच खसरे के प्रति जागरूकता बढ़ने के लिए कदम उठा रहे हैं। कुछ लोग खसरा जैसी बीमारी को सिरीयसली नहीं लेते। उन्‍हें लगता है कि दाने और बुखार के साथ यह बीमारी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है। लेकिन ऐसा नहीं है। यह एक संक्रामक बीमारी है, जो व्‍यक्ति के छींकने और खांसने से फैलती है। किसी भी उम्र का व्‍यक्ति इसका शिकार हो सकता है, लेकिन इसका सबसे ज्‍यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्‍चों को होता है। सीडीसी के अनुसार, लोगों को खसरा से बचाव के लिए वैक्‍सीन लगवानी चाहिए। जिसे एमएमआर यानी मीसल्‍स, मंप्‍स और रूबेला के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं एमएमआर वैक्‍सीन के बारे में विस्तार से।

क्‍या है एमएमआर वैक्‍सीन

एमएमआर वैक्‍सीन मीजल्स, मम्प्स और रूबेला (MMR) वैक्‍सीन की एक कॉम्बिनेशन वैक्‍सीन है। जो इन तीन गंभीर वायरल संक्रमणों से बचाने में मदद करती है। वैक्सीन में जीवित, लेकिन कमजोर मीजल्स, मम्प्स और रूबेला वायरस होते हैं। जो लोग किसी भी कारण से वैक्सीनेशन नहीं कराते हैं, या वैक्‍सीनेशन में देरी करते हैं, उन्‍हें खसरे से संक्रमित होने और इसे दूसरों में फैलाने का जोखिम होता है । साथ ही वे उन लोगों में खसरा फैला सकते हैं, जो टीका नहीं लगवा सकते।

कब लगवानी चाहिए एमएमआर वैक्‍सीन

बच्चों को एमएमआर वैक्सीन की दो खुराकें मिलनी चाहिए, पहली खुराक 12 से 15 महीने की उम्र में और दूसरी खुराक 4 से 6 साल की उम्र में। टीनएजर और वयस्कों को भी अपने एमएमआर वैक्‍सीनेशन के बारे में अपडेट रहना चाहिए। बच्चों को दूसरी खुराक पहले भी मिल सकती है, बशर्ते कि पहली खुराक के कम से कम 28 दिन बाद हो।

एमएमआर वैक्‍सीन के जोखिम

एमएमआर वैक्‍सीन लगवाने के बाद शॉट की जगह पर दर्द या लालपन, हल्‍के दाने या बुखार हो सकता है। कभी-कभी लोगों को गाल पर सूजन और कम प्लेटलेट्स की शिकायत हो जाती है।

कब ना लगवाएं एमएमआर वैक्‍सीन

  • जिन लोगों को वैक्‍सीन की पहले डोज लेने के बाद एलर्जी हुई थी, उन्‍हें दूसरी डोज न लगवाने की सलाह दी जाती है।

  • गर्भवती महिलाओं को एमएमआर वैक्‍सीन लगवाने के लिए तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि वे गर्भवती न हो जाएं। एमएमआर वैक्‍सीन लगवाने के बाद महिलाओं को कम से कम 1 महीने तक गर्भवती होने से बचना चाहिए।

  • जिन लोगों का किसी बीमारी के कारण इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर हो गया हो, वे वैक्‍सीन न लगवाएं।

  • जिसके माता-पिता, भाई या बहन को प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्याओं का इतिहास रहा हो।

  • जिसने पिछले 4 सप्ताहों में कोई अन्य वैक्‍सीन लगवाई हो या जिसे टीबी हो, उन्‍हें भी वैक्‍सीन नहीं लगवानी चाहिए।

वयस्‍कों को कब लगवानी चाहिए वैक्‍सीन

वयस्‍कों को एमएमआर वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिलनी चाहिए। कुछ वयस्कों को दो खुराक की जरूरत हो सकती है। जो वयस्क ऐसी जगह पर जा रहे हैं, जहां खसरे का जोखिम ज्‍यादा है, उन्हें कम से कम 28 दिनों के अंतर पर दो खुराकें लेनी चाहिए।

रिप्रोडक्टिव एज वाली महिलाएं

रिप्रोडक्टिव एज की महिलाएं जो गर्भवती नहीं हैं, उन्हें एमएमआर वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिलनी चाहिए। स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए एमएमआर वैक्सीनेशन सेफ है।

एमएमआर वैक्‍सीन सेफ है। अगर आपको पहली खुराक से कोई दिक्‍कत महसूस नहीं हुई, तो दूसरी खुराक लेने में कोई नुकसान नहीं है।

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