World Heart Day
World Heart DayRaj Express

धड़कता नहीं, कांपने लगता है दिल, तो कार्डियक अरेस्ट का है संकेत, जानिए हार्ट अटैक से और कैसे अलग है ये

हर साल 29 सितंबर को वर्ल्‍ड हार्ट डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को दिल से जुड़ी बीमारियों के के प्रति जागरूक करना है। लोग आज भी हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्‍ट को लेकर कंफ्यूज रहते हैं।

हाइलाइट्स :

  • हृदय में ब्‍लड पहुंचने में आने वाली रुकावट हार्ट अटैक कहलाती है।

  • कार्डियक अरेस्‍ट में हृदय पूरे शरीर में ब्‍लड पंप करना बंद कर देता है।

  • कार्डियक अरेस्‍ट में दिल कांपने लगता है।

  • सांस लेने में कठिनाई हार्ट अटैक का लक्षण।

राज एक्सप्रेस। कुछ दिनों पहले रेलवे में जॉब करने वाले 48 वर्ष के अफसर को अटैक आ गया। ऑफिस में कुर्सी पर बैठे-बैठे एक झटका लगा और डॉक्‍टर ने उन्‍हें मृत घोषित कर दिया। सभी लोग इसे हार्ट अटैक मान रहे थे, लेकिन वास्‍तव में यह कार्डियक अरेस्‍ट है, जो लोगों को मौत से पहले कुछ भी कहने और बताने का मौका नहीं देता। जबकि हार्ट अटैक की कुछ स्‍टेज तक व्‍यक्ति जीवित रह पाता है। अनहेल्‍दी लाइफस्‍टाइल, खराब आहार और तनाव के कारण ये दोनों ही बीमारियां कभी भी कहीं भी लोगों को अपना शिकार बना लेती हैं। अफसोस की बात तो यह है कि लोग इनके बीच अंतर नहीं समझ पा रहे हैं। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, दोनों के बीच काफी अंतर है। हार्ट अटैक में जब खून ठीक से हार्ट तक नहीं पहुंचता, तब हार्ट अटैक आता है। कार्डियक अरेस्‍ट में दिल अचानक से काम करना बंद कर देता है, जो इन दिनों मौत का सबसे बड़ा कारण है। वर्ल्‍ड हार्ट डे पर जानते हैं दोनों के बीच अंतर, लक्षण और इमरजेंसी में इनसे बचने के तरीके भी।

क्‍या होता है कार्डियक अरेस्‍ट

कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है। यह कोई चेतावनी नहीं देता। इसमें हृदय शरीर के चारों तरफ रक्त पंप करना बंद कर देता है। जरा सी लापरवाही से व्‍यक्ति बेहोश हो सकता है और कुछ ही मिनटों में उसकी मृत्यु हो सकती है। कार्डियक अरेस्ट का एक सामान्य कारण वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन (VFib) है। VFib तब होता है जब हृदय की इलेक्ट्रिकल सकुर्लेटरी अव्यवस्थित हो जाती है। इसमें दिल धड़कने के बजाय, कांपने लगता है।

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण

ज्यादातर मामलों में, कार्डियक अरेस्ट का पहला लक्षण कॉन्शियसनेस में कमी है। कभी-कभी, किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट से एक घंटे पहले ही कार्डियक अरेस्ट के के संकेतों का अनुभव होता है।

  • दिल की धड़कन तेज होने लगती है।

  • व्‍यक्ति चक्कर खाकर गिरता है, तो कंधों और पीठ को थपथपाने के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती।

  • पल्‍स और ब्‍लड प्रेशर घटना बढ़ना रुक जाता है।

  • छाती में दर्द और सांस लेने में कठिनाई आती है।

  • कुछ लोगों में इसके बहुत ही आम जैसे जी मिचलाना और उल्टी करने जैसे लक्षण दिखते हैं।

कार्डियक अरेस्ट के दौरान इमरजेंसी में क्‍या करें

कार्डियक अरेस्ट एक इमरजेंसी सिचुएशन है। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही शख्‍स की जान ले सकती है। यदि मौके पर ज्‍यादा लोग हैं, तो एक को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) शुरू करना चाहिए, जबकि दूसरा एंबुलेंस को कॉल करे और एक ऑटोमेटिक एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (AED) ला सकता है। किसी व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट होने पर एईडी के साथ डिफाइब्रिलेशन कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों के भीतर हो जाना चाहिए, क्योंकि समय के साथ उनके जीवित रहने की संभावना कम होती जाती है।

हार्ट अटैक क्‍या है

दिल का दौरा तब पड़ता है जब हार्ट में ब्‍लड ठीक से नहीं पहुंच पाता। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब ब्‍लड क्‍लॉट कोरोनरी आर्टरी में से किसी एक को ब्‍लॉक कर देता है। हृदय रोग का सबसे आम कारण कोरोनरी आर्टरी डिजीज है, जिसमें धमनी की दीवार एथेरोमा, फैट जमा होने के कारण ब्‍लॉक हो जाती हैं।

दिल का दौरा पड़ने के लक्षण

हालांकि दिल के दौरे के लक्षण अचानक से दिख सकते हैं। कुछ लोगों में लक्षण हल्के और धीरे-धीरे होते हैं, जो दिनों से लेकर हफ्तों तक विकसित होते हैं। जैसे

  • सीने में दर्द या बेचैनी होना

  • जलन वाला दर्द होता है, जो एक या दोनों बांहों या पीठ, गर्दन, जबड़े या पेट तक फैल जाता है।

  • चक्‍कर आने के साथ सांस लेने में कठिनाई होती है।

  • दिल की धड़कन तेज हो जाती है।

  • कुछ लोगों को साइलेंट हार्ट अटैक आता है, जिसके लक्षण या तो दिखाई नहीं देते, या इतने हल्‍के होते हैं कि व्‍यक्ति को पता नहीं चलता। एक अनुमान के अनुसार, साइलेंट अटैक लगभग 50% हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार होता है।

हार्ट अटैक आने पर क्‍या करें

अगर किसी को हार्ट अटैक आया है, तो 325 मिग्रा एस्पिरिन चबाए। कार के बजाए मरीज को एंबुलेंस में लेकर जाएं। ध्‍यान रखें कि एम्बुलेंस से इमरजेंसी रूम पहुंचने वाले मरीज को कार से आने वाले लोगों की तुलना में जल्दी उपचार मिलता है। इसमें जितनी जल्‍दी ट्रीटमेंट मिलता है, मरीज के उतनी जल्‍दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है।

इलाज न कराने पर क्‍या

हार्ट अटैक

हार्ट अटैक आने के बाद व्‍यक्ति इलाज न कराए, तो यह कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। इसके अलावा हार्ट फेलियर, कार्डियोजेनिक शॉक और हार्ट रप्चर जैसी स्थितियां सामने आती हैं।

कार्डियक अरेस्‍ट

इसमें भी तुरंत उपचार न मिलने से मास्तिष्‍क को चोट पहुंचती है। कार्डियक अरेस्ट के दौरान, मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है।

दोनों में से कौन खतरनाक

दोनों में से ज्यादा खतरनाक कार्डियक अरेस्‍ट है। क्‍योंकि इसमें व्‍यक्ति को सोचने समझने का वक्‍त भी नहीं मिलता। इसका कोई संकेत भी पहले से नहीं मिलता। कार्डियक अरेस्ट के बाद 90 प्रतिशत लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। जबकि हार्ट अटैक के संकेत 48 घंटे से 24 घंटे पहले ही मिलना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में मरीज को संभलने और जान बचाने का मौका मिल जाता है।

दिल का दौरा और कार्डियक अरेस्ट दोनों ही इमरजेंसी कंडीशन हैं। इसलिए इनके लक्षणों को पहचानें और लापरवाही न बरतते हुए जल्‍द से जल्‍द इलाज शुरू कराएं।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com