राज एक्सप्रेस। धर्मशास्त्रों की मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या हो उस दिन दिवाली पर्व मनाना चाहिए। 14 नवंबर शनिवार को यह योग प्राप्त हो रहा है। भारतीय भुकेन्द्र पर अमावस्या तिथि का प्रवेश दोपहर 2 बजकर 18 मिनिट पर हो रहा है । आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक उक्त जानकारी देते हुए बताया किदीपावली निर्णय में 'प्रदोषकाल' का ही विशेष महत्व है। धर्मसिन्धु का मत है कि चतुर्दशी व उसके आगे के तीन दिन 'दीपावली' की संज्ञा से अलंकृत है इन्हें कौमुदी महोत्सव के नाम से जाना जाता है।
वैसे ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री भगवती महालक्ष्मी का समाराधनपर्व धनतेरस से प्रारम्भ होकर भाईदूज तक पांच दिनों तक चलता है। आचार्य पण्डित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने पंच पर्व का महत्व बताया कि धनतेरस को सायंकाल घर एवं द्वार देश से बाहर दीपदान करने का महत्व है। दीपदान से अपमृत्यु का नाश होता है । इस दिन चांदी अथवा धातु से निर्मित बर्तन भी खरीदने का महत्व है। 'रूपचौदस' को सजने संवरने के साथ प्रात: तैल लगाकर स्नान करने से धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
पंचपर्व में प्रतिदिन सायंकाल दीपदान करने का महत्व :
ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी तैल व पवित्र नदियों सहित सभी जलों में निवास करने आती है , इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध कर संसार को भय मुक्त किया था, इस विजय की याद में यह पर्व मनाया जाता है दिवाली व महालक्ष्मी पूजा, लक्ष्मी पूजा की रात्रि को सुखरात्री कहा जाता है। सुखरात्री में महालक्ष्मी पूजा के साथ श्रीगणेश, महाकाली, महासरस्वती, कुबेर व दीपकों आदि का पूजन करने से वर्ष आनन्द से व्यतीत होता है। गोवर्धन पूजा व अन्नकूट इस दिन गोवर्धन व गोपेश की पूजा घर के द्वारदेश में कई जाती है। गोमाता का श्रृंगार भी किया जाता है। शाम को 56 प्रकार के व्यंजनों का भगवान को भोग लगाकर अन्नकूट महोत्सव मनाया जाता है। भाईदूज इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते है। इस दिन भाइयों को अपनी बहनें भोजन कराती है। पँचपर्व में प्रतिदिन सायंकाल दीपदान करने का महत्व है।
शुभमुहूर्त का विशेष महत्व है :
आचार्य शर्मा ने बताया कि दीप पर्व मनाने में शुभमुहूर्त का विशेष महत्व है। अथर्वण ज्योतिष की मान्यता है कि कार्यसिद्धि व सफलता हेतु मुहूर्त पर विचार कर ही कार्य आरम्भ करना चाहिए। लक्ष्मी पूजा में चौघडिय़ा, गोघुलि वेला, स्थिर लग्न, प्रदोष काल व महानिशकाल में अपनी कुलपरंपरा अनुसार महालक्ष्मी पूजन करने से श्री एवम समृद्धि की प्राप्ति होती है। धनतेरस* के शुभ मुहूर्त 13 नवंबर, शुक्रवार । चित्रा,स्वाती नक्षत्र, प्रीति, आयुष्मान योग, प्रदोष के संयोग में।
चौघड़िया मुहूर्त :
प्रात: 6:37 से 8:00 चंचल
प्रात: 8:00 से 9:23 बजे तक लाभ
प्रात: 9:23 से 10:45 अमृत
दोपहर: 12:10 से 13:35 शुभ
शाम 4:20 से 5:43 चंचल
रात्रि 8:58 से 10:35 लाभ
अभिजीत समय : प्रात: 11:50 से 12:33 बजे तक।
प्रदोष काल : शाम 5:43 से 8:19 बजे तक।
गोधुलि बेला : शाम 5:20 से 6:09 बजे तक।
स्थिर लग्न :
वृश्चिक - प्रात: 6:53 से 9:09 तक
कुम्भ - दोपहर 1:02 से 2:35 तक
वृषभ -शाम 5:47 से 7:45 बजे तक
सिंह - रात्रि 12:18 से 2:29 बजे तक
उपर्युक्त शुभ मुहूर्त में धनतेरस का पर्व मनाएं।
दीपावली व महालक्ष्मी पूजा :
भारतीय भुकेन्द्र पर अमावस्या दोपहर 2:18 से प्रारम्भ होगी। दीपावली सर्वार्थसिद्धि, सौभाग्य व सिद्धि महायोग, स्वाति-विशाखा नक्षत्र, तुला राशि का चन्द्रमा, तुला राशि का सूर्य व धनु राशि के बृहस्पति में मनेगी।
चौघड़िया मुहूर्त
अमावस्या तिथि दोपहर 2 बजकर 18 मिनिट से प्रारंभ होगी।
प्रात: 8:00 से 9:24 शुभ
दोपहर 12:10 से 1:35 चंचल
दोपहर 1:35 से 2:56 लाभ
दोपहर 2:56 से 4:20 अमृत
शाम 5:42 से 7:21 लाभ
रात्रि 8:56 से 10:35 शुभ।
स्थिरलग्न
वृश्चिक - प्रात: 6:49 से 9:05
कुम्भ - दोपहर12:58 से 2:32
वृषभ - शाम 5:43 से 7:41
सिंह लग्न - रात्रि 12:14 से 2:25 बजे तक।
अभिजीत काल प्रात: 11:49 से 12:33
गोधुलिबेला - 5:20 से 6:09,
प्रदोषकाल - शाम 5:43 से 8:19,
महानिशा काल - रात्रि 11:44 से 12:38 तक (यंत्र, तंत्र व मंत्र साधना हेतु सर्वश्रेष्ठ काल।)
15 नवंबर रविवार को प्रात: 10बजकर 37 मिनिट तक अमावस्या तिथि है अत: गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: 10.47 से12.10 बजे तक शुभ रहेगा। दीपमालीकोत्सव की मंगल की कामनाएं।
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