भगवान राम की बहन शांता
भगवान राम की बहन शांताSocial Media

क्या भगवान राम की बहन के बारे में जानते हैं आप? जानिए रामायण में क्यों रहीं गुमनाम?

भगवान राम के परिवार के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं, लेकिन बहुत कम लोग उनकी बहन के बारे में जानते हैं। इसका कारण यह है कि रामायण में कहीं भी उनकी बहन का जिक्र नहीं है।

राज एक्सप्रेस। आज भारत सहित पूरी दुनिया में दीपावली का पवित्र त्यौहार मनाया जा रहा है। लोग एक-दूसरे को दीपावली की शुभकामाएं दे रहे हैं। दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष कृपा अपने भक्तों पर बरसती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवान राम अपना 14 सालों का वनवास खत्म करके अयोध्या वापस लौटे थे। उस समय उनके स्वागत में पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था। तभी से हर साल इस दिन दीपावली मनाई जाती है। भगवान राम के जीवन पर ही पवित्र ग्रंथ रामायण लिखा गया है, जिसमें भगवान राम के पूरे परिवार के बारे में बताया गया है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान राम की एक बहन भी थीं, जिनका वाल्मीकि की रामायण में कहीं कोई जिक्र नहीं है।

भगवान राम की बहन :

दक्षिण भारत की रामायण के अनुसार भगवान राम की बहन का नाम शांता था। वे राजा दशरथ और माता कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी थीं। शांता के बारे में कहा जाता है कि वे सर्वगुण सम्पन्न थीं। उन्हें बचपन से ही वेद और शिल्पकला का ज्ञान था।

दे दिया था गोद :

एक बार माता कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति अंगदेश के राजा रोमपद अयोध्या आए थे। रोमपद और वर्षिणी के कोई संतान नहीं थी। वह शांता के गुणों से इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने राजा दशरथ और माता कौशल्या से शांता को गोद लेने की बात कही। कौशल्या अपनी बहन को दहलीज से निराश नहीं भेजना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने और राजा दशरथ ने शांता को उन्हें गोद दे दिया था। इस तरह शांता अंगदेश की राजकुमारी बनीं।

रामायण में कहीं भी नहीं है जिक्र :

अगर वाल्मीकि की रामायण की बात करें तो उसमें कहीं भी भगवान राम की बहन शांता का जिक्र नहीं मिलता है। इसका कारण यह है कि शांता को बचपन में ही गोद दे दिया गया था और वह अयोध्या छोड़कर अंग देश चली गई थीं। यही कारण है कि रामायण में उनका कोई जिक्र नहीं मिलता है।

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