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Ganesh Chaturthi : तुलसी के श्राप के कारण भगवान गणेश की हुई दो शादी, जानिए पौराणिक कथा

इस बार भगवान गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। गणपति जी से जुड़ी कई धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं

राज एक्सप्रेस। 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी है और इस दिन हम सभी के प्यारे गणपति बप्पा का आगमन होने वाला है। गणपति जी को अपने घर लाने के लिए पूरे देश में विशेष तैयारियां की जा रही हैं। इस बार गणेश चतुर्थी पर विशेष संयोग भी बनने जा रहा है। दरअसल इस साल गणेश चतुर्थी बुधवार को आ रही है। इससे पहले यह संयोग 10 साल पहले बना था। वहीं शुभ मुहूर्त की बात करें तो इस बार गणपति स्थापना का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। वैसे गणपति जी से जुड़ी कई धार्मिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनके बारे में हम सभी ने सुना है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि गणपति के दो विवाह क्यों हुए थे? और उनके पुत्र कौन थे? अगर नहीं! तो चलिए हम आपको बताते हैं।

तुलसी ने दिया श्राप :

पौराणिक कथा है कि एक बार भगवान गणेश समुद्र तट पर तपस्या कर रहे थे, उसी दौरान तुलसी जी वहां पहुंचीं और गणेश जी को देखते ही उन पर मोहित हो गईं। उन्होंने वहीं गणेश जी के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन भगवान गणेश ने मना कर दिया। इससे तुलसी जी इतनी नाराज हो गईं कि उन्होंने गणपति जी को श्राप दे दिया कि उनकी दो शादियां होंगी। यही कारण है कि श्री गणेश जी की पूजा में तुलसी चढ़ाना वर्जित माना जाता है।

ब्रह्मा जी ने रखा प्रस्ताव :

एक अन्य कथा के अनुसार गणेश जी के शरीर की बनावट के कारण कोई भी कन्या उनसे शादी करने के लिए तैयार नहीं थी। इससे नाराज होकर गणेश जी देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने लगे। इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपनी दो मानस पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी से शिक्षा लेने के लिए भेजा। इसके बाद जब भी किसी देवी-देवता की शादी होती तो रिद्धि-सिद्धि गणेश जी का ध्यान भटका देतीं और वह विवाह में विघ्न नहीं डाल पाते। जब यह बात गणेश जी को पता चली तो वह गुस्सा हो उठे और रिद्धि-सिद्धि को श्राप देने लगे। तभी वहां ब्रह्मा जी पहुंचे और उन्होंने गणेश जी के सामने रिद्धि-सिद्धि से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, जिसे गणेश जी ने मान लिया। इस तरह से गणेश जी के दो विवाह हुआ। रिद्धि-सिद्धि से गणेश जी को दो संतान हुई, जिनका नाम शुभ और लाभ रखा गया।

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