जग्गी वासुदेव जन्मदिवस
जग्गी वासुदेव जन्मदिवसSyed Dabeer Hussain - RE

जग्गी वासुदेव जन्मदिवस : विश्वभर में अपने अनूठे योग और आध्यात्म के लिए नाम बना चुके हैं जग्गी वासुदेव

विश्व योग गुरु जग्गी वासुदेव के द्वारा एक गैर लाभकारी समाजसेवी संगठन ईशा फाउंडेशन की स्थापना भी की गई है। इसके साथ ही आध्यात्म को भी विश्व में स्थान दिलवाने के लिए प्रयासरत हैं।

राज एक्सप्रेस। भारत देश में कई ऐसे बड़े नाम हैं जिन्होंने अपने काम से ही अपनी पहचान बनाई है। इन्होंने अपने जीवन में ऐसे काम किए हैं कि देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में इनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। ऐसा ही एक नाम है पद्म विभूषण और विश्व योग गुरु जग्गी वासुदेव 'सदगुरु’ का। उन्होंने अध्यात्म और योग को विश्व में फैलाया है। वैसे भी भारत को विश्व में सर्वाधिक आध्यात्मिक देश कहा जाता है। सदगुरु ने इसी दिशा में निरंतर काम करते हुए लोगों को इन्हें ग्रहण करने के लिए प्रेरित किया है। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर हम आपको उनके जीवन की खास बातें बताने वाले हैं।

प्रकृति से रहा लगाव :

जग्गी वासुदेव का जन्म 3 सितंबर 1957 को कर्नाटक के मैसूर में हुआ था। उनके पिता रेलवे अस्पताल में डॉक्टर के रूप में कार्य करते थे। जग्गी वासुदेव की दो बहने एवं एक भाई है, जिनमें वे सबसे छोटे हैं। जग्गी वासुदेव बताते हैं कि उनके घर के पास ही एक जंगल था, और इस कारण वे अपना काफी वक्त जंगल में ही गुजारते थे। उन्हें बचपन से ही प्रकृति के पास रहना अच्छा लगता था। बचपन से ही जग्गी वासुदेव का झुकाव प्रकृति की ओर अधिक रहा है। इसके चलते ही वे प्रकृति संवर्धन के लिए विश्वस्तरीय मोहिम भी चलाते हैं।

घूमने के हैं शौक़ीन :

जग्गी वासुदेव को नई जगहों पर घूमना बेहद पसंद हैं। इसके साथ ही उन्हें एडवेंचर और अज्ञात चीजों के बारे में जानना और उन्हें खोजना भी अच्छा लगता है। इसके अलावा घूमने के लिए उनकी सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है जंगल। इन जंगलों में ही बचपन बीतने के कारण उनके मन में जानवरों के लिए भी काफी दया है। उन्हें जानवरों में सांप बेहद पसंद है।

बिज़नेस में भी अव्वल :

घूमने और जानवरों से लगाव रखने वाले जग्गी वासुदेव को मोटरसाइकिल से बहुत लगाव है। यही कारण है कि अक्सर देश के कई हिस्सों में वे घूमने के लिए मोटरसाइकिल का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कॉलेज पूरा करने के बाद बिज़नेस में भी हाथ डाला और इसमें सफल भी हुए। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कभी आध्यात्म से नाता नहीं तोड़ा।

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