Maha Shivratri 2024: भोलेनाथ पर क्‍यों चढ़ाते हैं बेलपत्र और धतूरा, क्‍या है इसका धार्मिक महत्‍व

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को धतूरा और बेलपत्र अर्पित किए जाते हैं। आखिर इन चीजों का क्‍या महत्‍व है, जानते हैं यहां।
Maha Shivratri 2024
Maha Shivratri 2024Raj Express

हाइलाइट्स :

  • शिवरात्रि पर भोलेनाथ को चढ़ाया जाता है धतूरा और बेलपत्र।

  • धतूरा अर्पित करने से विषाक्‍तता से छुटकारा मिलता है।

  • महादेव का प्रिय है बेलपत्र।

  • भोलेनाथ पर बेलपत्र चढ़ाने से 1000 यज्ञों से प्राप्‍त पुण्‍य मिलता है।

Maha Shivratri 2024: इस साल शिवरात्रि का पावन पर्व 8 मार्च को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन ही भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन लोग उपवास करते हैं और भगवान भोलेनाथ व माता पार्वती की पूजा करने मंदिरों में जाते हैं। कहते हैं इस दिन महादेव की पूजा करने से उनका आर्शीवाद अपने भक्‍तों पर बना रहता है। वैसे भी शास्‍त्रों के अनुसार, कहा जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्‍न करना बहुत आसान है। जंगल में पाई जाने वाली चीजों की साधारण भेंट से ही महादेव प्रसन्न हो जाते हैं। जैसे कि धतूरा और बिल्‍व की पत्तियां। शिवरात्रि पर भोलेनाथ पर धूतरा और बिल्व पत्र अर्पित किए जाते हैं। पर क्‍या आप जानते हैं कि इनका क्‍या महत्‍व है और क्‍यों इन्‍हें भोलेनाथ पर चढ़ाया जाता है। तो चलिए जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन क्‍यों चढ़ाया जाता है भोलेनाथ पर धतूरा और बेलपत्र।

महादेव पर क्‍यों चढ़ाते हैं धतूरा

वामन पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव ने विष पिया तो उनकी छाती से धतूरा निकला। धतूरा जहरीला और कड़वा होता है। भगवान को चढ़ाया जाने वाला धतूरा फल या फूल इस बात का प्रतीक है कि हम समर्पण कर रहे हैं और अपनी सभी कड़वाहट, नकारात्मकता और नफरत, ईर्ष्या और क्रोध जैसी विषाक्तता से छुटकारा पा रहे हैं। इससे आप पवित्र हो जाते हैं और सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।

शिवरात्रि पर बेलपत्र का महत्‍व

बेल पत्र, जिसे बिल्व पत्र भी कहा जाता है, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को अर्पित की जाने वाली छह जरूरी चीजों में से एक है। रुद्राक्ष की माला के बाद महादेव को सबसे प्रिय बिल्व पत्र ही है। शिव पूजा में इन पत्तों को महामृत्युंजय और अन्य शिव मंत्रों के जाप के साथ शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।

क्‍यों चढ़ाई जाती है भगवान शंकर पर बेलपत्र

स्कंद पुराण में उल्लेख है कि देवी पार्वती के पसीने की बूंदें एक बार मंदराचल पर्वत पर गिरी थीं। इससे बेल या बिल्व का पौधा उग आया था। ऐसा माना जाता है कि शिव की दिव्य पत्नी पार्वती अपने सभी रूपों में बिल्व वृक्ष में रहती हैं। वह जड़ों में गिरिजा के रूप में, तने में माहेश्वरी के रूप में, शाखाओं में दाक्षायनी के रूप में, पत्तियों में पार्वती के रूप में, फलों में कात्यायनी के रूप में और फूलों में गौरी के रूप में निवास करती हैं। इसलिए जब कोई शिवरात्रि के दौरान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाता है, तो एक हजार यज्ञों से प्राप्त पुण्य मिलता है।

बुरे कर्म भी हो जाते हैं नष्‍ट

माना जाता है कि 100 कमल के फूल 1 नीलकमल के बराबर होते हैं और 1000 नील कमल 1 बेलपत्र के बराबर । इस तरह बेलपत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है। यहां तक ​​कि जब आप महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर चढ़ाए गए बिल्व पत्र चढ़ाते हैं, तो सबसे भयानक कर्म भी नष्ट हो जाते हैं।

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