कहीं डिप्रेशन की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है आपका लाड़ला
कहीं डिप्रेशन की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है आपका लाड़लाSyed Dabeer Hussain - RE

कहीं डिप्रेशन की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है आपका लाड़ला, ऐसे करें लक्षणों की पहचान

घर से बाहर रहकर पढ़ाई या जॉब करने वाले बच्‍चों में डिप्रेशन की जांच करना बहुत जरूरी है। अगर उनमें इसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो पेरेंट्स कुछ तरीकों को अपनाकर बच्‍चे को डिप्रेशन से बचा सकते हैं।

राज एक्सप्रेस। इन दिनों टेली-मानस खूब सुर्खियों में है। यह देशभर में मानव स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय की ओर से चलाई जा रही एक हेल्‍पलाइन है, जिसे महिला और बच्‍चों के शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर केंद्रित किया गया है। टेली-मानस से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि बीते कुछ महीनों में कोटा में आत्‍महत्‍या की घटनाओं ने माता-पिता को झकझोर कर रख दिया है। बच्‍चों को खुद से दूर अजनबी शहर में भेजने वाले माता-पिता अपने लाडले से किसी ऐसी घटना की कल्‍पना तक नहीं कर सकते।

आज लाखों माता-पिता अपने बच्‍चाें को पढ़ने के लिए घर से दूर शहरों में भेज देते हैं। कुछ बच्‍चे तो अच्‍छा परफॉर्म कर लेते हैं, तो कुछ लाख कोशिशों के बाद भी सफल नहीं हो पाते। नतीजा उन्‍हें डिप्रेशन हो जाता है और मन में सुसाइड के ख्याल आने लगते हैं। मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं की समझ न होने के कारण पेरेंट्स को उनकी हालत समझ नहीं आती। यहां हम उन लक्षणों का जिक्र कर रहें हैं, तो डिप्रेशन से जूझ रहे बच्‍चों में साफ नजर आते हैं। अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिखाई दें, तो उनके मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति सजग हो जाएं।

बच्‍चों में डिप्रेशन के लक्षण

  • उदासी और उर्जा के स्‍तर में कमी।

  • बहुत ज्‍यादा नींद आना या नींद ना आना।

  • भूख में बदलाव।

  • वजन बढ़ना या घटना।

  • निराशा और अपराध बोध।

  • चिड़चिड़ापन, एकाग्रता व सतर्कता की कमी।

  • निर्णय लेने में असमर्थता।

क्‍या करें पेरेंट्स

अकेला ना छोड़ें

अगर आपके बच्‍चे में डिप्रेशन के एक या दो लक्षण भी नजर आते हैं, तो उसे एकदम अकेला ना छोड़ें। उन्‍हें बताएं कि इस स्थिति से निपटने में आप उनकी मदद करेंगे और आप हमेशा उनके साथ हैं।

उनकी बात ध्‍यान से सुनें

बच्‍चे को पूरा अटेंशन दें और सक्रीय रूप से उनके विचारों और भावनाओं को सुनें। उनकी भावनाओं के प्रति सहानुभूति दिखाने का प्रयास करें।

उनका कॉन्फिडेंस बढ़ाएं

टाइम मैनेजमेंट न होने के कारण उनमें उदासी और निराशा की भावनाएं उत्‍पन्‍न हो सकती हैं। जो आगे चलकर खराब आत्‍मविश्‍वास, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक दबाव की वजह बनती है। इन सबसे अवसाद बढ़ता है। पैरेंट़स होने के नाते आपका फर्ज है कि उनका आत्‍मविश्‍वास बढ़ाएं।

एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित करें

अगर आपको एहसास है कि बच्‍चा डिप्रेशन में है, तो उसे उसके पसंदीदा खेल खेलने के लिए प्रेरित करें। डेली एक्सरसाइज रूटीन भी शारीरिक और मानसिक बीमारियों को रोकने में मदद करता है।

डाइट का ध्यान रखें

जंक, ऑयली और शुगरी फूड़ खाने वाले बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण बहुत जल्दी नजर आते हैं। ऐसे में बच्‍चे को इनसे दूरी बनाने के लिए कहें और हो सके तो विटामिन ई, सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों को उनके आहार का हिस्‍सा बनाएं।

कम्युनिटी सर्विस में व्‍यस्‍त रखें

स्‍ट्रेस, एंजायटी के बाद डिप्रेशन झेल रहे बच्‍चों को कम्‍यूनिटी सर्विसेस में व्‍यस्‍त रखकर उनकी स्थिति पर काबू पाया जा सकता है। जरूरतमंद लोगों की मदद करने से संतुष्टि और आत्म सम्मान की भावना बढ़ती है। इसमें इंगेज होने के बाद बच्‍चा अपनी पर्सनल प्रॉब्लम को सॉल्‍व करने में सक्षम होता है।

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