बच्‍चे नहीं पहचानते अपने ही रिश्तेदारों को, तो अपनाएं ये तरीके
बच्‍चे नहीं पहचानते अपने ही रिश्तेदारों को, तो अपनाएं ये तरीकेSyed Dabeer Hussain - RE

बच्‍चे नहीं पहचानते अपने ही रिश्तेदारों को, तो अपनाएं ये तरीके, ऐसे दें उनका इंट्रोडक्शन

परिवार के सदस्यों के बारे में सहजता और आसानी से बच्‍चों से कैसे बात कर सकते हैं। न्‍यूक्‍लियर फैमिली के चलते और सोशली इंटरेक्‍ट न होने के कारण बच्‍चे अपने रिश्तेदारों को नहीं पहचानते।
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हाइलाइट्स :

  • बच्‍चों में खत्‍म हो रही हैं फैमिली वैल्‍यूज।

  • रिश्‍तेदारों के बारे में नहीं जानते बच्‍चे।

  • निक नेम से परिचित कराएं बच्‍चों को।

  • रिश्‍तेदारों के मजेदार किस्‍से सुनाएं।

राज एक्सप्रेस। फैमिली हमारी सोसाइटी और बातचीत का जरूरी हिस्‍सा है। कई बार साथ बैठे हुए भी हम परिवार या परिवार के लोगों की चर्चा करने लगते हैं। हमारे बुजुर्गों का परिवार काफी बड़ा हुआ करता था, ऐसे में एक ही परिवार में कई सारे लोग होते थे और सबको एक दूसरे के बारे में पता होता था। लेकिन न्‍यूक्‍लियर फैमिली के चलते अब बच्‍चे पास के रिश्‍तेदारों को तक हीं पहचानते। खासतौर से जो बच्‍चे हमेशा ही घर से दूर रहे हों, वह तो मुश्किल ही अपने दूर के काका, चाचा को पहचान पाते हैं। शादी समारोह में मिल भी जाएं, तो उन्‍हें समझ नहीं आता कि किसके पैर छूने हैं और किसे बस नमस्‍ते कहना है। कहने का मतलब यह है कि बच्‍चे अपने करीबी और दूर के रिश्‍तेदारों के बीच अंतर नहीं समझ पाते, क्‍योंकि उन्‍हे नहीं पता होता कि कौन सा रिश्‍ता उनके लिए अहम है। इसमे गलती माता-पिता की है, जो उन्‍हें शुरू से घर परिवार के सदस्‍यों से परीचित नहीं कराते। अगर बचपन से ही बच्‍चों को रिश्‍तेदारों से मिलवाया जाए, या उनके बारे में बताया जाए, तो शायद बच्‍चे रिश्‍तेदारी का महत्‍व समझ सकते हैं। अगर आपके बच्‍चों के साथ भी ये दिक्‍कत आ रही है, तो यहां बताया गया है कि आप अपने बच्‍चों को फैमिली इंट्रोडक्‍शन कैसे दे सकते हैं।

फैमिली ट्री बनाएं

हर परिवार का एक फैमिली ट्री होता है। उसे बनाएं और बच्‍चे को इससे अवगत कराएं। उसे बताएं कि उनकी जनरेशन कौन सी जनरेशन है। उनके परदादा, परदादी और उनके परिवार से जुड़े लोगों की संख्‍या बताएं। इससे कम से कम बच्‍चे ये जान पाएंगे कि उनकी फैमिली कितनी बड़ी है।

डायरेक्ट रिश्‍ता बताएं

फैमिली जितनी बड़ी होती है, रिश्‍ते उतने ही लंबे होते हैं। आजकल के बच्‍चे इतना लंबा रिश्ते नही निभाते हैं और न ही समझते हैं। ऐसे में बेहतर है कि उन्‍हें सिर्फ ये बताएं कि ये रिश्‍तदार उनका कौन लगता है। चाचा, काका बाबा बुआ मौसी आदि। इससे बच्‍चे आसानी से समझ पाएंगे और वे उन्‍हें अपने चाचा और काका जैसा ही आदर और सम्‍मान देंगे।

निक नेम का यूज करें

इतने रिश्‍तेदारों के बीच बच्‍चों को सबके नाम याद नहीं रहते। इसका सबसे अच्‍छा तरीका है कि बच्‍चों को उन लोगों के निक नेम से परिचित कराएं। इससे उन्‍हें सुनने में भी मजा आएगा और वे दिलचस्‍पी के साथ नाम भी याद कर लेंगे।

रिश्तेदारों के किस्‍से सुनाएं

आज की जनरेशन रिश्तेदारी निभाने में बहुत पीछे है। रिश्‍तेदारी में उनका इंटरेस्‍ट जगाने के लिए उन्‍हें अपने रिश्तेदारों की मजेदार किस्से सुनाने चाहिए। इसे सुनने में उन्‍हें बहुत मजा आता है और वे किस्‍सों के आधार पर दूर दूर के रिश्‍तेदारों को भी आसानी से पहचान लेते हैं।

हिंदी में सिखाएं

सबसे जरूरी बात है कि बच्‍चे का किससे क्‍या रिश्‍ता है, उन्‍हें हिंदी में बताएं। मतलब बच्‍चों से ये न कहें कि ये आपके आंटी, अंकल, हैं। उन्‍हें समझाना चाहिए कि वो रिश्‍ते में उनके चाचा, चाची, मामा , मामी हैं। इससे रिश्‍तों में अपनापन आता है।

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