बच्‍चे से हो गई है गलती, तो पनिशमेंट देने के बजाय करें ये 5 काम
बच्‍चे से हो गई है गलती, तो पनिशमेंट देने के बजाय करें ये 5 कामSyed Dabeer Hussain - RE

बच्‍चे ने कर दी है गलती, तो अनुशासित करने के लिए पनिशमेंट के बजाय अपनाएं ये तरीके

बच्चे को नियमित रूप से पीटना उसके भविष्‍य के लिए ठीक नहीं है। हर माता-पिता को बच्‍चे को अनुशासित करने का एक प्रभावी तरीका अपनाना चाहिए। इससे बच्‍चा बिना किसी फिजिकल टॉर्चर के अनुशासित होना सीख पाएगा।

हाइलाइट्स :

  • मारना-पीटना बच्‍चों को अनुशासन सिखाने का प्रभावी तरीका नहीं।

  • लगातार पिटाई से बच्‍चों में सुधार की गारंटी नहीं ली जा सकती।

  • मार-पिटाई से बच्‍चे का व्‍यवहार नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है।

  • सजा और पिटाई के बजाई गलतियों से सीखने का मौका दें।

राज एक्सप्रेस। आपने कई माता-पिता को कहते सुना होगा कि- कभी मार पड़ी होती, तो शायद ऐसा न करता। पहले के माता-पिता शायद ऐसी ही होते थे। बच्‍चे ने कुछ गलती की नहीं, कि उधर उनका हाथ मारने के लिए उठा नहीं। इसमें कोई दोराहे नहीं है कि हर माता-पिता अपने बच्‍चे का भला चाहते हैं। उन्‍हें जिंदगी का सबक सिखाने के लिए कुछ माता-पिता तो प्‍यार का सहारा लेते हैं, तो वहीं कुछ बच्‍चे की गलती पर उसकी पिटाई करना शुरू कर देते हैं। क्‍या आपको लगता है कि मारने पीटने से बच्‍चे में सुधार आएगा। कई रिसर्च बताती है कि बच्चे की लगातार पिटाई और सजा व्यवहार में सुधार की गारंटी नहीं देती है। कुछ लोगों ने यह भी पाया कि ऐसा करने से बच्चों को लगातार पिटाई की आदत हो जाएगी और उनमें कोई भी बदलाव नहीं दिखेगा। तो आइए अपने बच्चे को पिटाई के बिना अनुशासित करने के 5 प्रभावी तरीकों के बारे में जानते हैं।

बच्‍चे का शरीर पिटाई के अनुकूल हो जाता है

मेडिकली ये प्रूफ हो चुका है कि मस्तिष्क शरीर को परिवर्तनों के अनुकूल बनाने के लिए तैयार करता है। जब बच्चे की पिटाई लगातार हो रही है या आप उसे पनिश कर रहे हैं तो बच्चे का शरीर इसके अनुकूल हो जाएगा और एक ऐसे पॉइंट पर पहुंच जाएगा, जहां उसे इस तरह की पनिशमेंट से डर नहीं लगेगा। हालांकि, आज भी ज्‍यादातर माता-पिता पिटाई और फिजिकल पनिशमेंट को बच्चे को अनुशासित करने का सबसे प्रभावी और तेज तरीका मानते हैं। लेकिन वास्तव में इसमें बच्‍चों का व्‍यवहार नकारात्‍मक रूप से प्रभावित होता है।

परिणामों से अवगत कराएं

अगर बच्‍चे ने कोई गलत काम किया है, तो उसे मारने पीटने की जरूरत नहीं है। बल्कि उसे इसके परिणामों से अवगत कराएं। इससे बच्‍चा कोई गलत फैसला लेने की नहीं सोचेगा। याद रखें, कि रिजल्‍ट समझाते समय कठोर भाषा का उपयोग न करें। बस शांत रहें और प्‍यार से उन्हें समझाएं। बता दें कि जिस बच्चे के साथ पैरेंट़स कठोर व्यवहार करते हैं, वह बड़ा होकर वैसा ही बन जाता है।

अच्‍छे व्‍यवहार पर शाबाशी दें

हर बार बच्‍चे की गलती पर सजा देना या मारपीट करना ही सुधार का विकल्प नहीं होता। आप कभी-कभी उनके सकारात्मक व्यवहार के लिए उन्हें शाबाशी दे सकते हैं। या चाहें,तो उसे प्राइज के रूप में उसकी पसंदीदा चीज दे दें। ऐसा करके, आप उन्हें बता रहे हैं कि आपको उनका सकारात्मक व्यवहार अच्‍छा लगता है । आप देखेंगे इसके बाद उनमें स्‍वत: ही सुधार आने लगेगा।

व्‍यस्‍त रखें

खाली दिमाग शैतान का घर होता है- कहावत तो आपने सुनी होगी। जैसे बच्‍चा जब अकेला होता है, तो उसके दिमाग में कोई न कोई खुरापात चलती रहती है। जिसके बाद वह न चाहते हुए भी गलती कर बैठता है। उसे मारपीट कर सुधारने के बजाय किसी काम में व्‍यस्‍त रखने की कोशिश करें। यह तरीका उनके दुर्व्यवहार को कम करने में मदद करेगा और आपको मारने पीटने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

फेवरेट चीज से फायदा उठाएं

हो सकता है कि इस वक्‍त आप थोड़े लालची हो जाएं, लेकिन बच्‍चे में सुधार लाने का यह सकारात्‍मक तरीका है। आपके बच्चे को जो सबसे ज्‍यादा पसंद है जैसे वीडियो गेम, मूवीज , खिलौने, उसका फायदा उठाना आपके बच्चे को अनुशासित करने का एक प्रभावी तरीका है। ऐसा आप करके तो देखिए,बच्चे को अपनी गलती पर पछतावा होगा और उनके व्यवहार पर भी इसका असर पड़ेगा। ऐसी स्थिति में, याद रखें, आप उसे उसकी पसंदीदा चीज तब तक वापस न करें, जब तक कि उनमें सकारात्मक व्यवहार न देख लें।

गलतियों से सिखाएं

आपने भी अपने बचपन में कुछ गलतियां तो की होंगी जिसके बाद माता-पिता ने आपको सजा भी जरूर दी होगी। अपने बच्चों को उन गलतियों के बारे में बताएं और उन्हें उनसे सीखने के लिए प्रेरित करें। ऐसा करने से वे खुद को ऐसी स्थितियों में पड़ने पर तैयार कर सकेंगे। आपका बच्चा भी अपनी गलतियों से सीख सकता है। उन्हें उनकी गलतियां बताएं और समझाएं कि उन्होंने जो किया उसमें क्या गलत है। इसके बाद वह ऐसी गलतियाँ दोहराने से पहले कई बार सोचेंगे।

बच्चों को हैंडल करना बहुत कठिन काम है। लेकिन कठोर होना, उन पर चिल्लाना या उन्हें मारना पीटना, सजा देना ही इसका इकलौता समाधान नहीं है। इस आर्टिकल में बताए गए सुझावों को आज़माएं और आप खुद बच्‍चों में सकारात्‍मक व्‍यवहार का अनुभव करेंगे।

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