महिलाएं क्‍यों नहीं जी पाती खुशहाल जिन्‍दगी
महिलाएं क्‍यों नहीं जी पाती खुशहाल जिन्‍दगीSyed Dabeer Hussain - RE

महिलाएं क्‍यों नहीं जी पाती खुशहाल जिन्‍दगी, रिसर्चर्स ने बताई इसकी बड़ी वजहें

महिलाएं पुरुषों जितनी खुश नहीं रह सकतीं। पहले से कहीं ज्‍यादा स्वतंत्रता और रोजगार के अवसर मिलने के बावजूद भी उन्‍हें चिंता और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य जैसी चुनौतियों से गुजरना पड़ता है।

हाइलाइट्स :

  • खुशी जीवन में सकारात्मकता लाती है।

  • पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम खुश रहती हैं।

  • सामाजिक असमानता उनके नाखुश रहने की वजह।

  • खुश रहने के लिए सामाजिक दायरा बढ़ाना जरूरी।

राज एक्सप्रेस। जीवन में खुशी एक ऐसा शब्‍द है, जिसे सुनने के बाद मन में पॉजिटिव फीलिंग आना शुरू हो जाती है। जीवन में कोई भी काम बिना खुशी के ठीक नहीं हो सकता। यह न केवल हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है, बल्कि हमें स्‍वस्‍थ भी रखती है। वैसे तो महिला हो या पुरुष सभी के लिए, खुशी के मायने एक ही हैं, लेकिन महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा खुश नहीं रहतीं। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि एक सर्वे में यह बात सामने आई है।

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन की ओर से हुए एक सर्वे में पाया गया है कि ज्यादातर अमेरिकी महिलाएं इस बात से नाखुश हैं कि समाज उनके साथ कैसा व्यवहार करता है। बेशक महिलाओं को पहले से कहीं ज्‍यादा स्वतंत्रता और रोजगार के अवसर मिले हैं । इसके बाद भी उन्‍हें चिंता और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

क्‍यों खुश नहीं हैं महिलाएं

उन्‍हें सामाजिक असमानताओं का सामना पुरूषों की तुलना में ज्यादा करना पड़ता है। फिर चाहे वह घर हो या ऑफिस। कई महिलाएं अभी भी बच्चों और बुजुर्ग रिश्तेदारों की देखभाल करती हैं। ज्यादातर पर घर और परिवार को संभालने का डबल प्रेशर होता है। वर्कप्‍लेस पर भी पांच में से तीन महिलाएं यौन उत्पीड़न या वर्बल मिसबिहेवियर का अनुभव करती हैं।

गुड गर्ल सिंड्रोम की आदत

महिलाओं में गुड गर्ल सिंड्रोम की आदत उन्‍हें खुश रहने से रोकती है। यानी महिलाएं दूसरों की जरूरत का ख्‍याल पहले रखती हैं, जबकि उनकी जरूरत उनके लिए कोई मायने नहीं रखती। ऐसा करना कभी-कभी तो खुशी देता है, लेकिन अगर आप हर बार ही दूसरों के सामने अच्‍छी और संस्‍कारी बनने की कोशिश करती हैं, तो आप अपनी खुशी दांव पर लगा रही हैं।

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में बेहतर सपोर्ट

2019 की एक स्‍टडी में रिसर्चर्स ने यह भी पाया कि दूसरों के साथ सकारात्मक संबंधों के अलावा व्यक्तिगत विकास की क्षमता पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है। कहने का मतलब यह है कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा सपोर्ट मिलता है। मुश्किल समय में वह मदद मांगने में हिचकिचाती नहीं हैं, इसलिए स्थिति पर जल्दी काबू पा लेना उनके लिए आसान होता है।

महिलाओं की दोस्‍ती ज्‍यादा गहरी

यह भी पाया गया है कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में सोशल रिलेशनशिप को ज्‍यादा महत्व देती हैं। स्टडी से पता चला है कि महिलाएं बहुत जल्‍दी दोस्‍त बना लेती हैं और उनकी दोस्‍ती पुरुषों के मुकाबले ज्‍यादा गहरी होती है। महिलाएं अक्‍सर आमने-सामने बातचीत करना पसंद करती हैं। जबकि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होता।

खुद को कैसे खुश रख सकती हैं महिलाएं

  • एक ऐसी जगह तलाशें, जहां आप खुलकर बता सकें कि आप कैसा महसूस करती हैं। इस मामले में आर्ट बेस्‍ड थैरेपी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई हैं। ऐसी थैरेपी महिलाओं को अन्‍य महिलाओं के साथ खुलकर बात करने का मौका देती हैं। इससे महिलाओं में शर्म और झिझक की भावना कम होती है।

  • खुश रहने के लिए घर से बाहर निकलकर प्राकृतिक परिवेश में बाहर समय बिताना चाहिए। इससे रिलेक्‍स फील हो सकता है। नेचर उन महिलाओं का बेहतरीन इलाज है, जो किसी न किसी बीमारी से जूझ रही हैं। इसलिए रोजाना या सप्‍ताह में कुछ दिन प्रकृति के साथ कुछ समय जरूर बिताएं।

  • कई स्टडीज के अनुसार, जो महिलाएं फिजिकली एक्टिव रहती हैं, उनकी पर्सनल ग्रोथ में वृद्धि होती है। खासतौर से एरोबिक एक्‍सरसाइज न केवल महिलाओं की उम्र बढ़ाती है, बल्कि उनके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए भी फायदेमंद है। जहां वेट बियरिंग एक्‍सरसाइज महिलाओं की हड्डियों में सुधार करती हैं, वहीं वॉकिंग मेनोपॉज के लक्षणों में सुधार करने के लिए जानी जाती है।

शराब का सेवन सीमित करें

महिलाओं को शराब से संबंधित हिंसा और जोखिमों का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि, महिलाएं पुरुषों की तुलना में बहुत जल्दी नशे में आ जाती हैं। यह स्थिति उन्हें ज्‍यादा असुरक्षित बना सकती है। ऐसे में शराब का सेवन बंद या सीमित कर देना चाहिए। एक रिसर्च के अनुसार, शराब छोड़ने से महिलाओं के स्वास्थ्य और खुशी में काफी सुधार हो सकता है।

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