Ajit pawar
Ajit pawarSocial Media

राकांपा के 40 विधायकों के साथ भाजपा से हाथ मिला सकते हैं अजित पवार, जापान दौरा खत्मकर वापस लौटे नार्वेकर

एनसीपी नेता अजित पवार के 40 विधायकों के साथ भाजपा से जुड़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं। माना जा रहा है वह जल्दी ही भाजपा के साथ किसी भी रूप में जुड़ सकते हैं।

राज एक्सप्रेस। शिवसेना के विद्रोह करके भाजपा के सहयोग से महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाले एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बने अभी एक साल से भी कम हुआ है और इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता अजित पवार के 40 विधायकों के साथ भाजपा में आने की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गई है कि ताजा सियासी घटनाक्रम की वजह से महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर अपना जापान दौरा बीच में ही स्थगित कर वापस लौट आए हैं। इन अटकलों के बीच राकांपा प्रमुख शरद पवार और अजित पवार ने ऐसी किसी संभावना से इनकार किया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने दावा किया कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में उद्धव ठाकरे को आश्वस्त किया है कि वह किसी भी स्थिति में भाजपा के साथ नहीं जाएंगे, भले ही कोई अपने स्तर पर यह निर्णय लेता है।

महाराष्ट्र के ताजा घटनाक्रम पर लगी निगाहें

इस बीच, राकांपा के दो विधायकों ने कहा कि अजित पवार के प्रति उनकी निष्ठा बेहद मजबूत है। वह अगले दिनों में जो भी निर्णय लेंगे, उन्हें वह स्वीकार है। इस बीच, अजित पवार ने अचानक पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही, महाराष्ट्र के दो शीर्ष भाजपा नेता दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। इन दोनों घटनाक्रमों को जोड़ते हुए महाराष्ट्र के ताजा घटनाक्रम पर लोगों की नजरें लग गई हैं। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि चार बार के डिप्टी सीएम और विधानसभा में विपक्ष के नेता सत्ताधारी गठबंधन के साथ किसी भी समय हाथ मिलाने वाले हैं।

53 में अजित पवार के समर्थन में 34 विधायक

ये घटनाक्रम मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग वाली एक याचिका की पृष्ठभूमि में आया है, जो सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। सूत्रों के मुताबिक, विपक्ष के 53 में से लगभग 34 विधायकों ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने और शिंदे-फडनवीस सरकार का हिस्सा बनने के अजित पवार के इरादे का आंतरिक रूप से समर्थन किया है। सूत्रों के अनुसार प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल और धनंजय मुंडे सहित राकांपा के प्रमुख चेहरों ने अजीत पवार के भाजपा के साथ जुड़ने के इरादों का समर्थन किया है। हालांकि, राकांपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष जयंत पाटिल और पार्टी के वरिष्ठ नेता जितेंद्र अवध अजित पवार की भाजपा के साथ जाने की योजना के पक्ष में नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक, अजीत पवार खेमे के कुछ विधायकों ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की और उन्हें बताया कि भाजपा के साथ गठबंधन की जमीन तैयार की जा रही है। शरद पवार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं की, क्योंकि इस मुहिम का हिस्सा नहीं हैं।

संभावित विलय के पीछे शाह का दिमाग

दरअसल, इस संभावित विलय के पीछे केंद्रीय गृहमंत्री और भाजपा के अहम रणनीतिकार अमित शाह का दिमाग है। राकांपा की निकटता 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। विधानसभा में मौजूदा गठबंधन सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल है। अगर अजित पवार भाजपा से जुड़ते हैं तो इसका अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव पर सार्थक असर पड़ेगा। सत्तारूढ़ गठबंधन से अजित पवार के जुड़ने की पहल महाराष्ट्र में एनडीए को क्लीनस्वीप दिला सकती है। महाराष्ट्र में उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक 48 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा नेतृत्व का मानना है कि राकांपा, एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा मिलकर राज्य की सभी लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया जा सकता है। राकांपा की भाजपा के साथ निकटता की पटकथा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर लिखी जा रही है। अमित शाह का मानना है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र में एनडीए का अच्छा प्रदर्शन दिल्ली की सत्ता पर पकड़ को मजबूत कर देगा।

यह है अजित पवार की मजबूरी

सूत्रों के अनुसार अजीत खेमे के लिए सत्ता से दूर रहना बेहद तकलीफदेह साबित हो रहा है। राज्य में जिस तरह की राजनीतिक स्थितियां हैं, उसमें उन्हें पार्टी के उभार की कोई भी संभावनाएं नहीं दिखाई दे रही हैं। उनकी राय है कि ऐसी स्थिति में सत्ताधारी गठबंधन से जुड़ना फायदेमंद साबित हो सकता है। सत्ताधारी दल से जुड़ाव की एक और वजह यह है कि सत्तारूढ़ दल में शामिल होने से अजित पवार को केंद्रीय एजेंसियों की ओर से पैदा की जाने वाली परेशानियों से राहत मिल सकती है। अजीत पवार और उनके परिवार, प्रफुल्ल पटेल और हसन मुश्रीफ जैसे कई विपक्षी नेताओं के प्रति प्रवर्तन निदेशालय के नजरें टेढ़ी हैं। इसके साथ ही, सत्ताधारी दल के साथ हाथ मिलाने से उनके निर्वाचन क्षेत्रों में धन का मुक्त प्रवाह सुनिश्चित हो सकेगा, जिसकी ममद से वे अगले चुनाव से पहले अपने निर्वाचन क्षेत्रों में काम शुरू करवा सकते हैं।

इस कैलकुलेटे़ड मुहिम में क्या है परेशानी?

इस पूरी मुहिम में दोनों ओर से सब कुछ कैलकुलेटेड है। इसमें एक ही सबसे बड़ी बाधा है कि अजित पवार एकनाथ शिंदे की तरह साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। अगर वह साहस से काम लेते हैं तो पूरी जमीन तैयार है। दिक्कत की बात यही है कि अजित पवार अब तक बहुत साफ-साफ संकेत नहीं दे रहे हैं। इसकी वजह शायद यह है कि उन्हें अब तक राकांपा प्रमुख शरद पवार की सहमति नहीं मिल पाई है। कई विधायक सोचते हैं कि शरद पवार की सहमति के बिना यह कदम फलदायी नहीं साबित होगा। अजित पवार भी उन्हें सीधी चुनौती नहीं देना चाहते हैं। उन्हें शायद यह भी भय होगा कि अगर राकांपा प्रमुख ने उनके इस मूव का समर्थन नहीं किया तो उन्हें एक बार फिर भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच सामने आए कई बयान भी उनके असमंजस की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि मैं राकांपा में था, राकांपा में हूं और राकांपा में ही रहूंगा। यह कहकर वह शायद पार्टी और पार्टी प्रमुख के प्रति अपनी निष्ठा का प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी सूत्रों के कहना है कि वह इस मुद्दे पर शरद पवार की सहमति लेना चाहते हैं, यही वजह है यह मुद्दा कुछ पीछे खिसकता दिख रहा है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com