गुलाम नबी आजाद
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कांग्रेस से नाता तोड़ते ही गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को जमकर लताड़ा, सोनिया को लिखा 5 पन्‍नों का पत्र

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बड़ा फैसला लेते हुए कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया और कहा- कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए है, जहां से वापस नहीं आया जा सकता है।

दिल्‍ली, भारत। आज विपक्ष की मुख्‍य पार्टी कांग्रेस को बड़ा अफसोस हुआ है, क्‍योंकि उनकी पार्टी के एक वरिष्‍ठ नेेता ने पार्टी का साथ छोड़ते हुए नाता तोड़ लिया है। दरअसल, जी-23 समूह के सबसे सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने बड़ा फैसला लेते हुए कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है।।

सोनिया गांधी को लिखा 5 पन्‍नों का पत्र :

इस दौरान कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफे का कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को 5 पन्‍नों का पत्र लिखा, जिसमें उन्‍होंने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए यह संदेश जारी किया। गुलाम नबी आजाद ने कहा- बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया है। कांग्रेस लड़ने की अपनी इच्छाशक्ति और क्षमता खो चुकी है। कांग्रेस में हालात अब ऐसी स्थिति पर पहुंच गए है, जहां से वापस नहीं आया जा सकता है।

राहुल गांधी के आते ही व्यवस्था ध्वस्त :

इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने इंदिरा गांधी से लेकर अब तक के दौर को याद दिलाते हुए सोनिया गांधी से यह भी कहा कि, ''आपकी अध्यक्षता में पार्टी अच्छे से काम कर रही थी और सबसे मशविरा लिया जाता था। दुर्भाग्य से राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई। वह 'भारी मन' से यह कदम उठा रहे हैं। 'भारत जोड़ो यात्रा' से पहले 'कांग्रेस जोड़ो यात्रा' निकाली जानी चाहिए थी। पार्टी में किसी भी स्तर पर चुनाव संपन्न नहीं हुए। राहुल गांधी के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई।''

इसका अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश में कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। ऐसे बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की गरिमा को ही कमजोर कर दिया था।

गुलाम नबी आजाद

इतना हीं नहीं, गुलाम नबी आजाद ने अपने इस पत्र में कांग्रेस से अपने रिश्ते और गांधी परिवार की कई पीढ़ियों के साथ काम करने का जिक्र करते हुए यह भी कहा- मैंने आपके दिवंगत पति राजीव गांधी, इंदिरा गांधी, संजय गांधी के साथ काम किया था। आधी सदी से ज्यादा का वक्त मैंने कांग्रेस को दिया है, लेकिन अब बेहद भारी मन से मैं कांग्रेस के सभी पदों से तत्काल इस्तीफा देता हूं और पार्टी से भी अपने संबंध समाप्त कर रहा हूं।

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