राज एक्सप्रेस। इन दिनों हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ हुए रेप और फिर जलाकर हत्या मामले पर देशभर में जोरों से विरोध-प्रदर्शन और यहां तक की संसद के शीतकालीन सत्र में भी लोकसभा तथा राज्यसभा में दुष्कर्म की घटनाओं पर चिंता जताई जा रही है कि, देश बच्चों और महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है। बलात्कार की घटना से देश के आक्रोशित माहौल के बीच अब देश में महिलाओं की सुरक्षा में खर्च की जाने वाली राशि व सुरक्षा के प्रबंधों की समीक्षा शुरू हो चली है। लोकसभा में सरकार की ओर से एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई हैं कि, निर्भया फंड (Nirbhaya Fund) के पैसे खर्च करने में सभी राज्य विफल और कुछ राज्यों ने तो एक पैसा भी खर्च नहीं किया है।
संसद में सरकार द्वारा पेश किए यह आंकड़ें :
सरकार की ओर से पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, यह बात सामने आई है कि, निर्भया फंड के तहत जो राशि महिलाओं की सुरक्षा के लिए दी जाती हैै, उसका कुछ राज्यों में एक पैसा भी खर्च नहीं हुआ है। जी हां! महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के नवंबर, 2019 के आंकड़ों के अनुसार भी अगर देखा जाए, तो केंद्र सरकार द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को दी गई राशि का 91% हिस्सा खर्च नहीं किया गया।
इन राज्यों में फंड की कोई राशि खर्च नहीं :
निर्भया फंड के के तहत परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिये इन 11 राज्यों झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, नगालैंड, ओडिशा, राजस्थान, त्रिपुरा तथा उत्तराखंड को धन आवंटित राशि दी गई थीं, जिसमें से इन राज्यों ने कोई राशि तक खर्च नहीं की हैं।
जानिए कितना फंड हुआ था जारी :
निर्भया फंड के तहत गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पिछले 5 वर्षों में 1,672 करोड़ रुपये का फंड जारी किया था, लेकिन इसमें से राज्यों द्वारा कुल 147 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए हैं। इसके अलावा महिला और बाल मामलों के (WCD) मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय द्वारा दिए गए धन का उपयोग समान अवधि में क्रमशः 20%, 25% और 15% है।
क्या है निर्भया फंड?
वर्ष 2012 में भारत की राजधानी दिल्ली में देश दहला देने वाला एक गैंगरेप हुआ था, जिसका देश ही नहीं, बल्कि विदेश में भी निंदा व विरोध-प्रदर्शन हुए थे और इसके बाद से ही कई नीतियां बनाई गई थीं। जब से ही केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए 'निर्भया फंड' की स्थापना की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य दुष्कर्म पीड़ितों की सहायता करना और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित करना था। महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों से निपटने में मदद करने के लिए 5 साल से अधिक समय के लिए यह फंड जारी किया गया था।
WCD मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, निर्भया फंड के लिए नोडल मंत्रालय-संसद में चल रहे शीतकालीन और मानसून सत्र में सुसज्जित है, हालांकि, डब्ल्यूसीडी मंत्रालय के अलावा भी 21 अन्य मंत्रालय परियोजनाएं चलाते हैं, जिसमें से गृह मंत्रालय के पास 13, सड़क-परिवहन मंत्रालय में 4, रेल मंत्रालय के पास 2 एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय और न्याय विभाग के पास 1-1 योजनाएं हैं।
कौन देखता है मंत्रालय के प्रस्ताव :
इन सभी सभी मंत्रालयों के प्रस्तावों को WCD सचिव की अध्यक्षता वाली अधिकारियों की एक उच्चाधिकार समिति ही देखती है, वैसे शुरुआती दौर में डब्ल्यूसीडी मंत्रालय को धनराशि जारी करने के लिए अनिवार्य किया था, परंतु यह प्रक्रिया लंबी होने के कारण फिर यह फैसला किया कि, WCD मंत्रालय आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) को अपनी मंजूरी भेज देगा, जो धनराशि जारी करेगा।
निर्भया फंड के तहत WCD मंत्रालय ने इतने रूपये किए आवंटित :
वर्ष 2013-14 और 2014-15 में 1,000 करोड़ रुपये।
वर्ष 2016-17 और 2017-18 में 550 करोड़ रुपये।
वर्ष 2018-19 और 2019-20 में यह आंकड़ा 500 करोड़ रुपये हो गया था।
जबकि, केंद्र निधि से राज्यों को धन आवंटित करता है, फिर इसे राज्य महिलाओं की सुरक्षा के लिए खर्च करता हैं।
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