Consumer Law: सेलिब्रिटी पर 10 लाख व झूठी शिकायत पर 50 हजार का जुर्माना

विज्ञापनों में छवि इस तरह पेश की जाती है कि वे धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। मगर वे ग्राहकों को लुभावनी बातें कर फंसा देते हैं। ऐसे में उन पर शिकंजा कसना सही कदम है।
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उपभोक्ता कानून(Consumer law): विज्ञापनों(Advertise) में छवि इस तरह पेश की जाती है कि वे धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। मगर वे ग्राहकों(Customer) को लुभावनी बातें कर फंसा देते हैं। ऐसे में उन पर शिकंजा कसना सही कदम है। उपभोक्ता कानून(Consumer law) में किए बदलावों से घटिया सामान बेचने वालों, गुमराह करने वाले विज्ञापन देने वालों को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। घटिया सामान बेचने वालों को छह महीने की जेल हो सकती है या फिर एक लाख रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। बड़े नुकसान पर ग्राहक को पांच लाख रुपए मुआवजा देना होगा और सात साल की जेल होगी। उपभोक्ता की मौत हो जाए तो मुआवजा दस लाख और सात साल या उम्रकैद भी संभव है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ग्राहक उपभोक्ता अदालत(Consumer Court) में शिकायत कर सकेगा, अभी तक शिकायत वहीं की जा सकती थी, जहां से सामान खरीदा गया हो। नया कानून 1986 के उपभोक्ता कानून का स्थान लेगा। भ्रामक विज्ञापन(Misleading Advertise) करने पर सेलिब्रिटी पर भी 10 लाख तक जुर्माना लगेगा। सेलिब्रिटी(Celebrity) का दायित्व होगा कि वह विज्ञापन में किए गए दावे की पड़ताल कर ले। मिलावटी सामान और खराब प्रोडक्ट पर कंपनियों पर जुर्माना और मुआवजे का सत प्रावधान है। झूठी शिकायत करता है तो अब 50 हजार रुपए जुर्माना लगेगा।

सचाई यह है कि खेल या सिनेजगत की हस्तियों द्वारा प्रचारित चीजों के विज्ञापनों में यह घोषणा कहीं नहीं होती है कि इन चीजों का इस्तेमाल खुद उन हस्तियों ने किया है। कुछ ही समय पहले एक नामी बिल्डर के पास अपना घर बुक कराने वाले सैकड़ों आम लोगों ने महेंद्र सिंह धोनी(Mahendra Singh Dhoni) को कानूनी नोटिस भेजा था कि उनके द्वारा किए गए भ्रामक प्रचार के झांसे में आकर उन लोगों ने उस बिल्डर की योजनाओं में पैसा लगाया था, लेकिन मकान सालों बीतने के बाद भी नहीं मिला। पैसा लगाने वाले इन निवेशकों का तर्क था कि धोनी इस बिल्डर के ब्रांड अंबेसडर हैं, इसलिए कुछ जिमेदारी उनकी भी बनती है। ऐसे में वे या तो उन्हें घर दिलाएं या फिर हर्जाना। फिर फास्ट फूड मैगी में हानिकारक तत्व की मौजूदगी के मामले के उजागर होने के बाद अमिताभ बच्चन, प्रीति जिंटा और माधुरी दीक्षित पर बिहार की एक अदालत ने पुलिस केस दर्ज करने और जरूरत पड़ने पर गिरफ्तार करने के निर्देश भी दिए थे।

सवाल यही है कि क्या मशहूर लोगों और हस्तियों को ऐसी चीजों का प्रचार करना चाहिए, जिनकी गुणवत्ता और उपयोगिता आदि को लेकर कई संदेह हो सकते हैं? क्या उन्हें ऐसी चीजों का बखान करना चाहिए जिनके वे खुद ग्राहक नहीं हैं, जिनका वे खुद इस्तेमाल नहीं करते, लेकिन उनके गुणों का बढ़-चढ़कर उल्लेख करते हुए जनता से उन्हें अपनाने की बात कहते हैं। सितारों को दौलत-शोहरत से आगे बढ़कर जनता के हितों के बारे में भी सोचना चाहिए। वे इस जिम्मेदारी से यह कर बरी नहीं हो सकते हैं कि उन्होंने किसी उत्पाद का सिर्फ प्रचार किया है, उसे उन्होंने खुद इस्तेमाल में नहीं लिया है। यह काम कानून के जरिए भी हो सकता है। भ्रामक विज्ञापनों के लिए सितारों को भी दोषी मानकर कठघरे में लाया जाना चाहिए और इसकी वाजिब सजा जरूर दी जानी चाहिए।

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