‘मैन ऑफ डिटेल’ सरदार पटेल

देश के ‘मैन ऑफ डिटेल' और लौह पुरूष के नाम से प्रख्यात सरदार पटेल ने देश को एकसूत्र में पिरोने की नींव रखी थी।
मैन ऑफ डिटेल
मैन ऑफ डिटेलSyed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। देश को एक सूत्र में पिरोने के सरदार वल्लभ भाई पटेल के साहसिक और सूझ-बूझ भरे काम की अब तक मिसाल दी जाती है। बाद में गृहमंत्री रहते हुए अनेक विवादास्पद मसलों और चुनौतीपूर्ण स्थितियों में उन्होंने कठोर फैसले किए, जिससे उन्हें ‘लौह-पुरूष’ की संज्ञा दी गई। सरदार पटेल के प्रति केवल गुजरात में नहीं, पूरे देश में सम्मान है। उन्होंने कई उल्लेखनीय काम किए थे, जो सरकारों के लिए आदर्श हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करते हुए कहा था कि, उनमें जहां लोगों को एकजुट करने की अद्भुत क्षमता थी, वहीं वह उन लोगों के साथ भी तालमेल बिठा लेते थे जिनके साथ उनके वैचारिक मतभेद होते थे। सरदार पटेल बारीक से बारीक चीजों को भी बहुत गहराई से देखते थे, परखते थे। सही मायने में वह मैन ऑफ डिटेल थे। नि:संदेह स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल भारतीय स्वाधीनता संग्राम के अग्रणी योद्धा एवं भारत सरकार के आधार स्तंभ थे। आजादी से पहले भारत की राजनीति में दृढ़ता और कार्यकुशलता ने इन्हें स्थापित किया और आजादी के बाद भारतीय राजनीति में उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों को देश के अनुकूल बनाने की क्षमताओं ने सरदार पटेल का कद काफी बड़ा कर दिया।

गौरतलब है कि सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म गुजरात के नदियाड (ननिहाल) में 31 अक्टूबर, 1875 को हुआ था। उनका पैतृक निवास स्थान गुजरात के खेड़ा के आनंद तालुका में करमसद गांव था। वे अपने पिता झवेरभाई पटेल तथा माता लाडबा देवी की चौथी संतान थे। उनका विवाह 16 साल की उम्र में झावेरबा पटेल से हुआ। उन्होंने नदियाड, बड़ौदा एवं अहमदाबाद से प्रारंभिक शिक्षा लेने के उपरांत इंग्लैंड मिडल टैंपल से लॉ की पढ़ाई पूरी की व 22 साल की उम्र में जिला अधिवक्ता की परीक्षा उत्तीर्ण कर बैरिस्टर बने। सरदार पटेल ने महत्वपूर्ण योगदान 1917 में खेड़ा किसान सत्याग्रह, 1923 में नागपुर झंडा सत्याग्रह, 1924 में बोरसद सत्याग्रह के उपरांत 1928 में बारदोली सत्याग्रह में देकर अपनी राष्ट्रीय पहचान कायम की। इसी बारदोली सत्याग्रह में उनके सफल नेतृत्व से प्रभावित होकर राष्ट्रीय पिता महात्मा गांधी और वहां के किसानों ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि दी। वहीं वर्ष 1922, 1924 तथा 1927 में सरदार पटेल अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए।

1930 में गांधी के नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन की तैयारी के प्रमुख शिल्पकार सरदार पटेल ही थे। 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में सरदार पटेल को अध्यक्ष चुना गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सरदार पटेल को जब 1932 में गिरफ्तार किया गया तो उन्हें गांधी के साथ 16 माह जेल में रहने का सौभाग्य हासिल हुआ। 1939 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में जब देशी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग मानने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया, तभी से सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया तथा अनेक देशी रियासतों में प्रजा मंडल और अखिल भारतीय प्रजा मंडल की स्थापना करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तरह लौह पुरूष सरदार पटेल ने अत्यंत बुद्धिमानी और दृढ़ संकल्प क्षमता का परिचय देते हुए वीपी मेनन और लार्ड माउंट बेटन की सलाह व सहयोग से अंग्रेजों की सारी कुटिल चालों पर पानी फेरकर नवंबर 1947 तक 565 देशी रियासतों में से 562 देशी रियासतों का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवा लिया। भारत की आजादी के बाद भी 18 सितंबर, 1948 तक हैदराबाद अलग ही था, लेकिन लौह पुरूष सरदार पटेल ने हैदराबाद के निजाम को पाठ पढ़ा दिया और भारतीय सेना ने हैदराबाद को भारत के साथ रहने का रास्ता खोल दिया।

कश्मीर समस्या की जड़ सत्ता रही है। वहीं 1946 में अब्दुल्ला ने कश्मीर के महाराजा हरिसिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मदद से महाराजा को विलय के लिए तैयार कर दिया। आजादी के पहले कांग्रेस कार्य समिति ने प्रधानमंत्री चुनने के लिए प्रक्रिया बनायी थी, जिसके तहत आंतरिक चुनावों में जिसे सबसे अधिक मत मिलेंगे वही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष होगा और वही प्रथम प्रधानमंत्री भी होगा। कांग्रेस के 15 प्रदेश स्तर के अध्यक्षों में से 13 वोट पटेल को ही मिले थे और केवल एक वोट जवाहरलाल नेहरू को मिला था। लेकिन गांधी जी का पुरजोर पक्ष जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस अध्यक्ष व प्रधानमंत्री बनाने को लेकर था। चूंकि गांधी को आधुनिक विचार बहुत पसंद थे, इन विचारों की झलक उन्हें पटेल की जगह विदेश में पढ़े-लिखे नेहरू में अधिक दिखती थी। वहीं गांधी विदेश नीति को लेकर पटेल से असहमत थे। इस कारण उन्होंने पटेल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने से इंकार कर दिया व अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल नेहरू के पक्ष में किया।

इसे लेकर राजनीति में राजेंद्र प्रसाद का यह कथन प्रासंगिक है एक बार फिर गांधी ने चहेते चमकदार चेहरे के लिए अपने विश्वासपात्र सैनिक की कुर्बानी दे दी। लेकिन सवाल पटेल को लेकर भी उठते हैं कि उन्होंने इसका विरोध क्यों नहीं किया? आखिर उनके लिए गांधी महत्वपूर्ण थे या देश? निश्चित ही भारत के 2/5 भाग क्षेत्रफल में बसी देशी रियासतों जहां तत्कालीन भारत के 42 करोड़ भारतियों में से 10 करोड़ 80 लाख की आबादी निवास करती थी, उसे भारत का अभिन्न अंग बना देना मामूली बात नहीं थी। इतिहासकार सरदार पटेल की तुलना बिस्मार्क से भी कई आगे करते हैं क्योंकि बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण ताकत के बल पर किया और पटेल ने ये विलक्षण कारनामा दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस के दम पर कर दिखाया। उनके इस अद्वितीय योगदान के लिए 1991 में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न के सर्वोच्च सम्मान से अलंकृत किया गया। 2018 में सरकार ने गुजरात के नर्मदा नदी पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर यानी 597 फीट लंबी ऊंचाई वाली गगनचुंबी मूर्ति (दुनिया की सबसे ऊंची विशालकाय मूर्ति) स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को मूर्त रूप देकर राष्ट्रीय एकता के प्रतीक पुरूष एवं देश का गौरव बढ़ाया। पिछले दिनों टाइम मैगजीन ने दुनिया के 100 महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी अहम स्थान दिया है।

सरदार पटेल ने देश को एकता के सूत्र में बांधा। एकता का यह मंत्र हमारे जीवन में संस्कार की तरह है और भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में हमें हर स्तर पर, हर डगर पर, हर मोड़ पर, हर पड़ाव पर, एकता के इस मंत्र को मजबूती देते रहना चाहिए। देश की एकता और आपसी सद्भावना को सशक्त करने के लिए हमारा समाज हमेशा से बहुत सक्रिय और सतर्क रहा है। सरदार पटेल ने मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कार्य किया, जिससे जाति और संप्रदाय के आधार पर होने वाले किसी भी भेदभाव की गुंजाइश न बचे। अत: हमें भी सांप्रदायिक दुराग्रह, धार्मिक भेदभाव एवं जातीय वैमनस्य को भुलाकर देश की एकता एवं सांप्रदायिक सद्भाव को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए संकल्पित होकर अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। क्योंकि किसी भी राष्ट्र की एकता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है। एकता के अभाव में किसी भी राष्ट्र की उन्नति और विकास संभव नहीं है।

सरदार पटेल के प्रति केवल गुजरात में नहीं, पूरे देश में सम्मान है। उन्होंने अनेक उल्लेखनीय काम किए थे, जो सरकारों के लिए आदर्श हैं। मसलन, अहमदाबाद नगरपालिका में रहते हुए उन्होंने जो सफाई और जल आपूर्ति की व्यवस्था की थी, वह आज भी तमाम नगर पालिकाओं के लिए नजीर है। उन्होंने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए सराहनीय कदम उठाए।

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