दिल्ली में दिखेगा नतीजों का असर

हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर दिल्ली में भी दिख रहा है, जो राजधानी की सियासत में हलचल पैदा कर सकता है।
दिल्ली में दिखेगा नतीजों का असर
दिल्ली में दिखेगा नतीजों का असरराज एक्सप्रेस

राज एक्सप्रेस। हरियाणा से चली सियासी हवा राजधानी की सियासत में भी हलचल पैदा कर सकती है। हरियाणा चुनाव का असर दिल्ली में ज्यादा है, क्योंकि यह दिल्ली से सटा हुआ राज्य है। जातीय समीकरण से लेकर सामाजिक समीकरण भी हरियाणा और दिल्ली में एक समान हैं।

हरियाणा के चुनावी नतीजे दिल्ली विधानसभा के सियासी मिजाज को प्रभावित कर सकते हैं। दिल्ली की तीनों पार्टियां अपने-अपने हक में नतीजे का इस्तेमाल करने की रणनीति पर काम कर रही हैं। रणनीतिकार मान रहे हैं कि हरियाणा के साथ महाराष्ट्र के परिणामों से साबित हो गया है कि विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय मसलों पर नहीं लड़ा जाता है। राष्ट्रवाद एवं अनुच्छेद-370 जैसे मुद्दे विधानसभा चुनाव में ज्यादा असरदार नहीं रहेंगे। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव भी स्थानीय मसलों पर होगा। 'आप' सरकार बीते पांच साल के कामों को अपनी उपलब्धि मान रही है। दूसरी तरफ दिल्ली कांग्रेस का मानना है कि हरियाणा का चुनाव साबित करता है कि लोग मौजूदा सत्तासीन पार्टी से नाराज हैं। वह विकल्प की तलाश कर रहे हैं। उनको कांग्रेस के पुराने दिन याद आ रहे हैं। हरियाणा में भाजपा की तरह दिल्ली में आप ने भी दिल्ली वालों से झूठे वादे किए हैं।

2015 विधानसभा चुनाव के बाद के चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है। हरियाणा के नतीजों से न सिर्फ कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह आएगा, बल्कि आम मतदाताओं को भी भरोसा कांग्रेस में बढ़ेगा। इसके अलावा भाजपा हरियाणा चुनाव के नतीजों को अपनी जीत मान रही है। इसका सीधा असर हरियाणा से सटे इलाकों पर पड़ने की उम्मीद भाजपा को है। वहीं, कांग्रेस के प्रदर्शन को भी भाजपा अपने हक में मान रही है। भाजपा रणनीतिकारों का मानना है, इससे उम्मीद है कि दिल्ली कांग्रेस को भी थोड़ी ऊर्जा मिल जाए। ऐसा होने पर दिल्ली का मुकाबला त्रिकोणीय होगा और विपक्षी वोटों के बंटवारे का फायदा भाजपा को मिलेगा। आम आदमी पार्टी (आप) का हरियाणा में प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। हरियाणा में आप ने 46 उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत आप के राष्ट्रीय नेतृत्व ने हरियाणा चुनाव से दूरी बनाए रखी थी। कोई भी बड़ा नेता हरियाणा में प्रचार करने नहीं गया था।

दिल्ली में 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस अपने पुराने वजूद को वापस पाने की जद्दोजहद से जूझ रही है। अब हरियाणा-महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन का असर दिल्ली में दिखाई दे सकता है। हरियाणा चुनाव का असर दिल्ली में ज्यादा है, क्योंकि यह दिल्ली से सटा हुआ राज्य है और जातीय समीकरण से लेकर सामाजिक समीकरण भी हरियाणा और दिल्ली में लगभग एक समान हैं। जिस प्रकार हरियाणा में जाट समुदाय चुनाव में अहम है, ठीक उसी प्रकार दिल्ली में भी है। हजारों की संख्या में दिल्ली एवं हरियाणा के लोग एक से दूसरे शहर में रोजाना आते जाते हैं, नौकरी करते हैं, रहन सहन एक है, काम एक है और चुनावी सोच भी मिलती है। इसलिए, हरियाणा के चुनावी मिजाज का असर दिल्ली की राजनीति पर पड़ता रहा है। सो, इस बार भी पड़ना बिल्कुल तय है।

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