भारतीय हॉकी का पुराना दौर खत्म हो चुका है : असलम खान
भारतीय हॉकी का पुराना दौर खत्म हो चुका है : असलम खानSocial Media

भारतीय हॉकी का पुराना दौर खत्म हो चुका है : असलम खान

पूर्व लोकसभा सांसद एवं ओलंपियन असलम शेर खान ने जनवरी में हुए हॉकी विश्व कप 2023 में भारत के खराब प्रदर्शन पर निराशा जताते हुए कहा है कि भारतीय हॉकी का पुराना दौर अब खत्म हो चुका है।

हाइलाइट्स :

  • असलम शेर खान ने कहा की हॉकी विश्व कप 2023 में भारत का खराब प्रदर्शन हॉकी के पुराने दौर को खत्म कर चुका है।

  • ओडिशा सरकार के 1000 करोड़ खर्च करने के बाद भी भारतीय हॉकी टीम नौवें स्थान पर रही।

  • भारतीय हॉकी के पतन के लिए हॉकी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और एफआईएच के पूर्व चेयरमैन नरेंद्र बत्रा को जिम्मेदार ठहराया।

  • हॉकी को पुनः लोकप्रिय बनाने के लिए घास के मैदान पर वापस खेलने का सुझाव।

  • उपमहाद्वीप, अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिए हॉकी विश्व कप टूर्नामेंट आयोजित करना चाहिए।

नई दिल्ली। पूर्व लोकसभा सांसद एवं ओलंपियन असलम शेर खान ने जनवरी में हुए हॉकी विश्व कप 2023 में भारत के खराब प्रदर्शन पर निराशा जताते हुए कहा है कि भारतीय हॉकी का पुराना दौर अब खत्म हो चुका है। उल्लेखनीय है कि ओडिशा के भुवनेश्वर और राउरकेला में खेले गये हॉकी विश्व कप में भारत नौंवे स्थान पर रहा था। श्री खान ने एक बयान में कहा, “प्रिय हॉकी प्रेमियों, अत्यंत दुख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि भारत में हॉकी का दौर खत्म हो चुका है। ऐसा इसी साल जनवरी में ओडिशा के राउरकेला में आयोजित हॉकी विश्व कप में हुआ।”

उन्होंने कहा, “ओडिशा सरकार के 1000 करोड़ खर्च करने के बाद भी भारतीय हॉकी टीम नौवें स्थान पर रही। यह भारत में हॉकी धीमा और दर्दनाक पतन था, जो मेरे अनुसार यह पतन 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में एस्ट्रोटर्फ के उपयोग के साथ शुरू हुई। भारत ने आखिरी ओलंपिक स्वर्ण 1980 में मॉस्को में जीता था, जिसका अमेरिका और यूरोप ने बहिष्कार किया था। उसने एकमात्र विश्व कप 1975 में कुआलालंपुर में जीता था, जिसका हिस्सा बनने का मुझे सौभाग्य मिला था। तब से मैंने हॉकी को पतन देखा है, नंबर एक से 2012 के लंदन ओलंपिक में आखिरी स्थान तक।”

ओलंपियन खान ने कहा कि भारतीय हॉकी के पतन का कारण देश में प्रतिभा की कमी नहीं, बल्कि खराब प्रबंधन है। उन्होंने भारतीय हॉकी के पतन के लिए हॉकी इंडिया के पूर्व अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के पूर्व चेयरमैन नरेंद्र बत्रा को जिम्मेदार ठहराया।

श्री खान ने कहा, “इस पतन का कारण यह नहीं है कि भारत में प्रतिभा की कमी है, बल्कि यह वर्षों से राष्ट्रीय और राज्य निकायों के लगातार निर्वाचित अधिकारियों का आपराधिक कुप्रबंधन था। इसके लिये मैंने हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय में एफआईएच के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा, हॉकी इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलेना नॉर्मन और हॉकी इंडिया के खिलाफ एक अदालती मामला लड़ा और जीता।”

बयान में कहा गया, “एफआईएच अध्यक्ष के रूप में श्री बत्रा भारतीय हॉकी की खराब स्थिति के पुनरुत्थान के लिये बहुत कुछ कर सकते थे, लेकिन इसके विपरीत हुआ और। सभी सुझावों और राय को नजरअंदाज करते हुए बत्रा ने भारत में हॉकी के दौर के खात्मे की कीमत पर खुद को और अपने सहयोगियों को समृद्ध करने के लिये एक व्यावसायिक दृष्टिकोण इस्तेमाल किया।”

श्री खान ने देश में हॉकी को पुनः लोकप्रिय बनाने के लिये घास के मैदान पर वापस खेलने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह भारत में खेल की पुरानी लोकप्रियता फिर से हासिल की जा सकती है और एक बार सफलता हासिल करने के बाद बाकी दुनिया के सामने भी उदाहरण रखा जा सकता है।

उन्होंने कहा, “भारत में हॉकी को पुनर्जीवित करने का अब एकमात्र समाधान प्राकृतिक घास की सतह पर फिर से खेलना शुरू करना है। सभी टूर्नामेंट और सभी प्रीमियर लीग प्राकृतिक घास की सतह पर खेले जाने चाहिए। यह दर्शकों को फिर से आकर्षित करेगा, क्योंकि प्राकृतिक सतह खेल को धीमा कर देती है और खिलाड़ियों को अपने ड्रिब्लिंग, ट्रैपिंग और चकमा देने के कौशल का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है। एस्ट्रोटर्फ की शुरुआत से पहले लोग अपनी पसंदीदा टीमों और खिलाड़ियों की प्रतिभा देखने के लिये स्टेडियम में आते थे।”

उन्होंने कहा, “आज भारत हॉकी में विश्व स्तर पर जाना जाता है। एक बार हम प्राकृतिक सतह पर हॉकी खेलने की योग्यता दिखा दें तो मुझे यकीन है कि हम दुनिया को यकीन दिला सकते हैं। जब फीफा 1960 के दशक में (फुटबॉल) खेल को बदलना चाहता तो ब्राजील और अर्जेंटीना ने एस्ट्रोटर्फ पर खेलने से इंकार कर दिया था। उसी तर्ज पर हमें नेतृत्व करना चाहिए और उपमहाद्वीप, अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिये हॉकी विश्व कप टूर्नामेंट आयोजित करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि ऐसा करके हम एक बार फिर सभी विकासशील देशों में इस खेल के प्रति बड़ी रुचि पैदा करेंगे और हॉकी को एक बार फिर दर्शकों का खेल बना देंगे।”

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