मुंबई। एक मई को गोपाल चौधरी और प्रेमबाई चौधरी ने अपने बेटे मुकेश को क्रिकेट खेलते हुए देखने के लिए महाराष्ट्र के यवतमाल से पुणे तक की यात्रा की। यह दूरी तकरीबन 500 किलोमीटर से अधिक की है। स्टेडियम में उन्हें प्रीमियम सीट पर बैठाया गया। साथ ही उनकी खातिरदारी काफी अच्छे तरीके से की गई। यह सब उनके लिए पहली बार था। मुकेश ने उस मैच में चार विकेट लिए। चेन्नई की टीम के लिए प्लेऑफ की दौड़ में बने रहने के लिए यह जीत दर्ज करना अनिवार्य था। इसके बाद मुकेश के अभिवाहक खुशी-खुशी स्टेडियम से बाहर चले गए।
गोपाल कहते हैं, ''उसे लाइव खेलते देखना और इतना अच्छा प्रदर्शन करते देखना अद्भुत अहसास था। मैंने पहले उसे केवल इंटरनेट पर लाइव देखा था। लखनऊ में मुश्ताक अली टॉफी (पिछले नवंबर) से पहले, मुकेश ने फोन किया और हमें हॉटस्टार की सदस्यता लेने के लिए कहा ताकि हम उसे टीवी पर खेलते हुए देख सकें। हालांकि उसे सामने से खेलते हुए देखने का अनुभव कुछ अलग ही था।'' इस मैच को देखने के बाद गोपाल ने उस समय को याद किया जब उनके छोटे बेटे 13 साल की उम्र में अपने बड़े भाई के साथ जयपुर से पुणे के सिंहगढ़ इंस्टीट्यूट में पढ़ने के लिए चले गए थे। गोपाल कहते हैं, ''उन्हें हमेशा क्रिकेट पसंद था, लेकिन वह मुख्य रूप से पढ़ाई के लिए वहां गए थे।''
मुकेश चौधरी के कोच सुरेंद्र भावे ने कहा, ''यह 2015 के आसपास का समय था, जब वह पहली बार हमारी अकादमी में आए थे। उनके पास ज्यादा गति नहीं थी, लेकिन कुछ ऐसे कौशल थे जिसके साथ हम काम कर सकते थे।'' मुकेश के क्रिकेट कौशल पुणे में उभर कर सामने आए। उनके एक दोस्त, जो एक क्लब क्रिकेटर थे,उन्होंने उन्हें पुणे के लॉ कॉलेज के मैदान में एक लीग गेम में गेंदबाजी करते हुए देखा और सुझाव दिया कि वह 22 यार्ड क्रिकेट अकादमी में प्रशिक्षण लें। इस अकादमी की स्थापना महाराष्ट्र के पूर्व कप्तान और राष्ट्रीय चयनकर्ता सुरेंद्र भावे ने की थी।
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