प्रधानमंत्री बनने से चूके ऋषि सुनक
प्रधानमंत्री बनने से चूके ऋषि सुनकSyed Dabeer Hussain - RE

जानिए वह पांच बड़े कारण, जिनके चलते ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से चूके ऋषि सुनक

शुरुआती दौर में कैंपेनिंग और चुनाव में ऋषि सुनक आगे चल रहे थे, लेकिन बाद में वह पिछड़ते चले गए और लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बन गईं।

राज एक्सप्रेस। भारतीय मूल के ब्रिटिश सांसद ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का चुनाव हार गए हैं। ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने चुनाव में ऋषि सुनक को 20,927 वोटों से हराया। चुनाव में लिज ट्रस को कुल 81,326 वोट मिले, जबकि ऋषि सुनक को 60,399 वोट मिले। खास बात यह है कि शुरूआती दौर में कैंपेनिंग और चुनाव में ऋषि सुनक आगे चल रहे थे, लेकिन बाद में ऋषि सुनक पिछड़ते चले गए और लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री बन गईं। ऐसे में आज हम उन कारणों के बारे में जानेंगे, जिसके चलते ऋषि सुनक को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

टैक्स विवाद :

ऋषि सुनक की पत्नी और इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति के पास इन्फोसिस में 0.93 फीसदी हिस्सेदारी है। चुनाव के दौरान अक्षता पर आरोप लगा था कि वह अपनी इस संपत्ति पर टैक्स नहीं देती हैं। इस पर ऋषि सुनक ने तर्क दिया था कि अक्षता की यह कमाई ब्रिटेन से बाहर होती है, इसलिए वह टैक्स नहीं देती। हालांकि बाद में अक्षता ने टैक्स देने का वादा किया था, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।

पत्नी की नागरिकता :

टैक्स विवाद के अलावा पत्नी की नागरिकता भी ऋषि सुनक की हार का कारण साबित हुई। दरअसल अक्षता मूर्ति के पास ब्रिटेन की नागरिकता नहीं है। इससे भी वोटरों में गलत संदेश गया।

भारतीय होना :

ऋषि सुनक भले ही ब्रिटेन के नागरिक है, लेकिन वह हिंदू और भारतीय मूल के हैं। ब्रिटेन के इतिहास में अब तक जिनते भी प्रधानमंत्री हुए हैं, वह सभी अंग्रेज ही थे। ऐसे में ऋषि सुनक का भारतीय मूल का होना भी उन्हें भारी पड़ा।

बोरिस जॉनसन से दुश्मनी :

बोरिस जॉनसन को प्रधानमंत्री पद से हटाने में ऋषि सुनक का सबसे बड़ा योगदान था। इससे चुनाव में बोरिस जॉनसन भी ऋषि सुनक के खिलाफ हो गए और उन्होंने खुलकर लिज ट्रस का समर्थन करना शुरू कर दिया।

दोहरी नागरिकता :

ऋषि सुनक पर आरोप लगा था कि अमेरिका से ब्रिटेन लौटने के बाद भी उन्होंने अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर नहीं किया था। खुद ऋषि सुनक ने भी माना था कि वित्त मंत्री बनने के 18 महीने बाद उन्होंने अपना ग्रीन कार्ड सरेंडर किया था। हालांकि ब्रिटेन के लोग दोहरी नागरिकता रख सकते हैं, लेकिन इससे वोटरों में अच्छा संदेश नहीं गया।

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