Death Anniversary : अखबार में छपी एक गलत खबर ने हमेशा के लिए बदल दिया था अल्फ्रेड नोबेल का जीवन

अल्फ्रेड नोबेल ने जब अखबार में अपनी मौत की खबर पढ़ी तो वह परेशान हो गए। वह बिल्कुल नहीं चाहते थे, कि उनकी मौत के बाद लोग उन्हें इस रूप में याद करें।
Alfred Nobel Death Anniversary
Alfred Nobel Death AnniversarySyed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। आज नोबेल पुरस्कार के संस्थापक और दुनिया के मशहूर वैज्ञानिक अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की पुण्यतिथि है। 10 दिसंबर 1896 को 63 साल की उम्र में अल्फ्रेड नोबेल ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनके नाम पर ही आज दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित पुरस्कार नोबेल पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार उनकी संपत्ति के एक हिस्से से ही दिया जाता है। डायनामाइट के आविष्कार के लिए मशहूर अल्फ्रेड नोबेल को सारी जिंदगी इसे बनाने का अफसोस रहा। यही कारण है कि आगे चलकर उन्होंने शांति का रास्ता अपनाया और अपनी सारी संपत्ति मानव हित के लिए दान कर दी। तो चलिए जानते हैं उस घटना के बारे में जब अल्फ्रेड नोबेल को डायनामाइट बनाने का अफसोस हुआ और उनकी पूरी जिन्दगी ही बदल गई।

साल 1867 में किया डायनामाइट का अविष्कार :

दरअसल अल्फ्रेड नोबेल ने साल 1866 में नाइट्रोग्लिसरीन में सिलिका को मिलाकर एक ऐसा मिश्रण बनाया जो धमाकेदार होने के साथ-साथ एक जगह से दूसरी जगह लाने में सुरक्षित भी था। 25 नवंबर 1867 को अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट का पेटेंट कराया।

अखबार में छपी गलत खबर ने बदल दी जिंदगी :

साल 1988 में अल्फ्रेड नोबेल के भाई लुडविग नोबेल की हृदय रोग और सांस की बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी। लेकिन कुछ अख़बारों ने लुडविग नोबेल की मौत को अल्फ्रेड नोबेल की मौत समझ लिया। उन्होंने अल्फ्रेड नोबेल की मौत की खबर अख़बार में छापते हुए लिखा कि, ‘मौत के सौदागर की मौत हो गई।’ जब अल्फ्रेड नोबेल ने यह खबर पढ़ी तो वह परेशान हो गए। वह बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनकी मौत के बाद लोग उन्हें इस रूप में याद करे। ऐसे में उन्होंने शांति का रास्ता अपनाया।

नोबेल पुरस्कार की शुरुआत :

अख़बार में अपनी मौत की खबर पढ़ने के बाद अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी छवि को बदलने के लिए विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए कार्य किया। उन्होंने साल 1995 में अपना वसीयतनामा तैयार किया। इसमें लिखा था कि उनकी संपत्ति के 94 प्रतिशत भाग से उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिन्होंने शांति, भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा और साहित्य के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ काम किया हो। इसे ही आज नोबेल पुरस्कार नाम से जाना जाता है।

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