किन कारणों के चलते डिफॉल्टर होने की कगार पर पहुंचा अमेरिका
किन कारणों के चलते डिफॉल्टर होने की कगार पर पहुंचा अमेरिकाRaj Express

जानिए किन कारणों के चलते डिफॉल्टर होने की कगार पर पहुंचा अमेरिका?

अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर खतरे का बड़ा कारण उनका बेतहाशा खर्च है। पिछले कुछ दशकों को देखें तो अमेरिका ने अपनी कमाई से ज्यादा खर्च किया है। इसके लिए अमेरिका कर्ज लेता है।

राज एक्सप्रेस। अमेरिका (America) दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क है। इसका कारण यह है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। लेकिन अब उसी आर्थिक शक्ति पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (World Biggest Economy) डिफॉल्टर होने की कगार पर पहुँच चुकी है। हालात कितने गंभीर है, इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपनी ऑस्ट्रेलिया की विजिट भी कैंसिल कर दी है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर अमेरिका के सामने यह स्थिति क्यों आई है।

आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया

दरअसल अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर खतरे का बड़ा कारण उनका बेतहाशा खर्च है। पिछले कुछ दशकों को देखें तो अमेरिका ने अपनी कमाई से ज्यादा खर्च किया है। इसके लिए अमेरिका कर्ज लेता है। हालांकि अमेरिका में कर्ज लेने की एक सीमा है, लेकिन जब भी अमेरिका उस सीमा के करीब पहुंचता है उसे और बढ़ा देता है। साल 1960 के बाद ही अमेरिका 78 बार अपनी कर्ज लेने की सीमा को बढ़ा चुका है।

इस बार क्या दिक्कत?

दरअसल अमेरिका एक बार फिर से अपनी कर्ज की सीमा को पार कर चुका है। ऐसे में यूएस ट्रेजरी ने कहा है कि अमेरिकी सरकार को कर्ज की सीमा को एक बार फिर से बढ़ाना होगा। ऐसा नहीं करने पर हम बकाया भुगतान नहीं कर पाएंगे।

कर्ज की सीमा क्यों नहीं बढ़ाई जा रही?

दरअसल अमेरिकी सरकार को कर्ज की सीमा बढ़ाने के लिए अमेरिका के दोनों सदनों में सीमा बढ़ाने वाला प्रस्ताव पास करवाना होगा। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो मौजूदा संकट खत्म हो जाएगा। लेकिन यहां दिक्कत यह है कि ऊपरी सदन में रिपब्लिकन पार्टी के पास बहुमत है। रिपब्लिकन पार्टी ने इस प्रस्ताव को पास करने के लिए सरकार के सामने अपने खर्च में कटौती करने की शर्त रखी है। वहीं सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

अमेरिका के पास कितना समय?

अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट एल येलेन ने कहा है कि सरकार इस संकट का हल 1 जून तक निकालना होगा। इसके बाद देश पर डिफॉल्टर होने का खतरा होगा। हालांकि अगर अमेरिका 15 जून तक डिफॉल्टर नहीं होता है तो उसके बाद बिजनेस और लोगों से मिले टैक्स के पैसों से अगस्त की शुरुआत तक राहत मिल सकती है।

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