भारत की फटकार के बाद भी नहीं सुधरा ड्रैगन, अरुणाचल पर जताया अपनी संप्रभुता का दावा
राज एक्सप्रेस। अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नामकरण की कोशिश पर भारत की कड़ी फटकार के बाद भी चीन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। इस बार चीन ने पूर्वोत्तर में स्थित इस भारतीय प्रदेश पर अपनी संप्रभुता का दावा जताया है। इस बीच, अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन करते हुए ड्रैगन की कार्रवाई को मनमाना और दक्षिण एशिया में बेवजह तनाव बढ़ाने वाली हरकत बताया है। व्हाइट हाउस ने कहा अमेरिका भारतीय क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे का दृढ़ता के साथ विरोध करता है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव करीन जीन-पियरे ने कहा यह भारतीय क्षेत्र पर चीनी दावे का एक और प्रयास है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने लंबे समय से इस क्षेत्र को मान्यता दे रखी है। अमेरिका क्षेत्र में एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने के किसी भी प्रयास का कड़ा विरोध करता हैं। ज्ञात हो कि इससे पहले अमेरिका की संसद में इस मसले पर एक द्विदलीय प्रस्ताव भी पेश किया जा चुका है। जिसमें अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है और वह मैकमोहन रेखा को भारत और चीन के बीच की वास्तविक सीमा के रूप में देखता है।
अरुणाचल को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा कहता है चीन
गौरतलब है कि चीनी मीडिया ने बताया था कि बीते रविवार को चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों का चीनी, तिब्बती और पिन इन लिपि में नामों का सेट जारी किया। जिसमें दो भूभागों के नाम, दो आवासीय क्षेत्रों के नाम, पांच पर्वतीय क्षेत्रों के नाम और दो नदियों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा चीन की प्रांतीय परिषद ने अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत के दक्षिणी हिस्से के रूप में जंगनन का नाम दिया है। यह पहला मौका नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों का नाम बदलने की कोशिश की है। इससे पहले वर्ष 2017 में भारत-चीन की सेनाओं के बीच भूटान ट्राई जंक्शन पर हुए डोकलाम विवाद के समय पर भी उसने अरुणाचल में जगहों के नाम बदले थे। इसके बाद पूर्वी लद्दाख में जारी एलएसी विवाद के दौरान भी उसने ये कुटिल प्रयास किया था।
अरिंदम बागची ने खारिज किया चीन का दावा
बीते 4 अप्रैल को चीन के अरुणाचल प्रदेश पर जताए गए उक्त दावे को सिरे से खारिज करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग था है और हमेशा रहेगा। नाम बदलने से इस वास्तविकता को बदला नहीं जा सकता। अरिंदम बागची ने कहा यह पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसा प्रयास किया है। भारत इसे सिरे से खारिज करता है। अरिंदम बागची ने कहा कि हमने ऐसी रिपोर्ट देखी हैं। ये पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसी कोशिश की है। चीन का इस पर दावा उसकी गलत नीयत का प्रमाण है।
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