भुट्टो की तरह फांसी पर लटकेंगे इमरान
भुट्टो की तरह फांसी पर लटकेंगे इमरानSyed Dabeer Hussain - RE

भुट्टो की तरह फांसी पर लटकेंगे इमरान? आर्मी एक्ट के तहत हो सकती है कार्रवाई

माना जा रहा है कि पाकिस्तानी आर्मी अपनी फजीहत का बदला लेने के लिए इमरान खान पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकती है।

राज एक्सप्रेस। पड़ोसी देश पाकिस्तान में इस समय राजनीतिक अस्थिरता का दौर अपने चरम पर है। पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को गिरफ्तार करने के बाद पूरे पाकिस्तान में जिस तरह से हिंसा हुई, उससे पाकिस्तानी आर्मी की जमकर फजीहत हुई है। इमरान खान के समर्थकों ने कई आर्मी अफसरों के घरों को जला दिया, आर्मी के जवानों पर हमले किए गए और आर्मी के विरोध में नारेबाजी की गई। पाकिस्तान में ऐसा पहली बार हुआ है, जब आर्मी का इस तरह से खुला विरोध किया गया। इस हिंसा के बाद पाकिस्तानी आर्मी ने सख्त रवैया अपना लिया है। सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने चेतावनी दी कि, ‘हमला करने वालों पर ऐसी कार्रवाई की जाएगी कि नस्लें याद रखेंगी।’

आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई

दरअसल पाकिस्तान की अदालतों पर यह आरोप लग रहा है कि वह लगातार इमरान खान को बचा रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पाकिस्तानी आर्मी अपनी फजीहत का बदला लेने के लिए इमरान खान पर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकती है। इस एक्ट के तहत केस दर्ज होने पर पूरा मामला आर्मी के हाथों में चला जाएगा। मामले की सुनवाई भी आर्मी की अदालत में होगी। ऐसे में इमरान खान के बचने की उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। उन्हें भी पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की तरफ फांसी पर लटकाया जा सकता है।

क्या है आर्मी एक्ट?

पाकिस्तान में आमतौर पर आर्मी एक्ट के तहत सेना में कार्यरत अधिकारियों पर ही कार्रवाई की जाती है। इस एक्ट के जरिए उनका कोर्ट मार्शल किया जाता है। लेकिन विशेष परिस्थितियों में इस कानून का इस्तेमाल आम आदमी के खिलाफ भी किया जाता है। यह एक्ट जासूसी, देश के खिलाफ जंग छेड़ने और अवैध गतिविधियों के लिए फंडिंग लेने के मामले में लगाया जाता है। इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों की सुनवाई मिलिट्री सिमरी कोर्ट में होती है।

कितनी सजा का प्रावधान?

ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 के सेक्शन 3 में जासूसी का आरोप साबित होने पर दोषी को 14 साल की सजा सुनाई जाती है। वहीं आर्मी एक्ट के सेक्शन 59 के तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को सजा-ए-मौत या उम्र कैद होती है। खास बात यह है कि इन मामलों में ज्यादा सबूतों की भी आवश्यकता नहीं होती है।

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