BRI डॉक्यूमेंट से हुआ खुलासा, चीन करना चाहता है नेपाल की इकोनॉमी पर काबू

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव चीन की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के जरिए चीन नेपाल पर आर्थिक वर्चस्व बनाना चाहता है। दोनों देशों के बीच मई 2017 में हुए इस समझौते को अब तक सावर्जनिक नहीं किया गया है।
BRI डॉक्यूमेंट से हुआ खुलासा, चीन करना चाहता है नेपाल की इकोनॉमी पर काबू
BRI डॉक्यूमेंट से हुआ खुलासा, चीन करना चाहता है नेपाल की इकोनॉमी पर काबूSocial Media

नेपाल-चीन BRI समझौता। चीन पहले से ही एक पॉवरफुल देश है, इसके बाद भी वह दिन प्रतिदिन खुदको आर्थिक रूप से और ज्यादा मजबूत बनाने में जुटा रहता है। इसके लिए चाहे चीन को कोई गलत कदम ही क्यों न उठाना पड़े। चीन अन्य देशों पर कब्ज़ा करके उनकी इकोनॉमी को अपने देश की इकोनॉमी में शामिल करने की कोशिश में लगा रहता है। इन दिनों चीन और नेपाल से जुड़ा एक बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) डॉक्यूमेंट सामने आया है। जिसका पता पिछले 5 सालों में किसी को नहीं लग सका। इस डॉक्यूमेंट से साफ़ पता चलता है कि, चीन के इरादे नेपाल को लेकर भी यही है। चीन नेपाल पर काबू करना चाहता है।

चीन की एक महत्वाकांक्षी योजना :

दरअसल, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) चीन की एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना के जरिए चीन अन्य देशों पर अपना आर्थिक वर्चस्व बनाना चाहता है। दोनों देशों के बीच मई 2017 में समझौता हुआ था, लेकिन अब तक इस डॉक्यूमेंट को सावर्जनिक नहीं किया गया है। पांच साल बीत जाने के बाद भी अब तक डॉक्यूमेंट को सावर्जनिक नहीं किया गया है।

समझौते के जरिए नेपाल पर कब्ज़ा करना चाहता है चीन :

चीन अपने महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव BRI के माध्यम से दूसरे देशों पर अपना आर्थिक अधिकार इसलिए करना चाहता है ताकी वह उस देश पे अपना कंट्रोल कर सके। सामने आई एक रिपोर्ट का मानना है कि, चीन और नेपाल के बीच हुए समझौते से पता चलता है कि, प्रोजेक्ट्स के जरिए चीन नेपाल में आर्थिक वर्चस्व बना कर देश पर काबू करना चाहता है। यदि ऐसा होता है तो चीन पूरी तरह नेपाल पर कब्ज़ा कर लेगा। चूंकि, नेपाल एक बहुत ही छोटा देश है। इसके अलावा चीन ने मुक्त व्यापार कनेक्टिविटी के नाम पर अपने BRI समझौते के जरिए नेपाल में अपने आर्थिक आधिपत्य और शर्तों को थोपने की कोशिश भी की है।

नेपाल की इकॉनमी पर होना चाहता है हावी :

जैसा कि, सभी जानते है चीन एक पॉवरफुल देश है। चाहे वो आर्थिक रूप से हो या टेक्नोलॉजी के मामले में। इसलिए चीन हर छोटे-मोटे देश पर कब्ज़ा कर उस देश की इकॉनमी पर हावी होना चाहता है। यही इरादा चीन का नेपाल की इकॉनमी को लेकर भी है। यदि चीन नेपाल पर कब्ज़ा कर लेता है तो वह सबसे पहले नेपाल की इकॉनमी पर हावी हो जाएगा। इतना ही नहीं चीन नेपाल में चीनी मुद्रा चलाने की कोशिश में है। इस बात का खुलासा भी इस BRI डॉक्यूमेंट से ही हुआ है। इस डॉक्यूमेंट से चीन के इरादे साफ पता चलते हैं।

अलग अलग देशों के विशेषज्ञों ने जताई चिंता :

अलग-अलग देशों के विशेषज्ञों ने चिंता जताते हुए कहा है कि, 'पांच सालों के बाद भी नेपाली आम नागरिक को इस समझौते का सच नहीं पता है। नेपाल सरकार समझौते से जुड़े दस्तावेज़ को नहीं दिखा रहा है। डॉक्यूमेंट को सावर्जनिक नहीं करने के लिए चीन का नेपाल पर दबाव हो सकता है।'

क्या खास है इस समझौते के दस्तावेज में :

डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि, 'दोनों पक्ष ट्रांसपोर्ट नेटवर्क सिक्योरिटी और संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर संयुक्त अध्ययन और ट्रांसपोर्ट, लॉजिस्टिक सिस्टम, रेलवे सहित क्रॉस बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को बढ़ावा देना। यह समझौता 3 साल के लिए था। 2017 में इस समझौते पर साइन हुए थे। इसी के साथ ये भी कहा गया था कि, यह समझौता तीन सालों के लिए वैलिड रहेगा। 5 साल बीत जाने के बाद भी इस समझौते पर कोई काम नहीं हुआ है। इस समझौता को रद्द करने के लिए 3 महीने पहले नोटिस देकर बताना पड़ेगा।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com