कतर ने सुनाई नेवी के 8 पूर्व नौसेना अफसरों को फांसी की सजा
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कतर ने सुनाई नेवी के 8 पूर्व नौसेना अफसरों को फांसी की सजा, क्या होगा भारत का कदम?

गुरुवार को कतर से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई। दरअसल, कतर के एक कोर्ट ने भारत के 8 पूर्व नौसेना अफसरों को फांसी की सजा सुनाई है। अचानक से इस फैसले ने आम जनता सहित सरकार को भी चौंका दिया है।

क़तर, दुनिया। कल यानि गुरुवार को भारत के लिए कतर से एक चौंका देने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, कतर के एक कोर्ट ने भारत के 8 पूर्व नौसेना अफसरों को फांसी की सजा सुनाई है। अचानक से इस तरह के फैसले ने आम जनता को ही नहीं, भारत सरकार को भी चौंका दिया है।

क्या है यह पूरा मामला ?

वीओ 1- भारत के जिन 8 पूर्व नौसेनिकों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है, वे कतर की Al-Dahra Global Technologies and Consultancy Services में काम करते थे। यह एक प्राइवेट कंपनी है, जो कतर की मिलिट्री को अपनी सेवाएं प्रदान करती थी। यह कंपनी कतर armed forces के जवानों को ट्रेनिंग देने का भी काम करती है। बता दें, यह सभी भारतीय कतर की मीलिट्री को सेवाएं देने वाली कंपनी में काम करते थे। गिरफ्तार हुए इन भारतियों के नाम - कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश है। इनमें से कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को भारत और कतर के बीच bilateral संबंधों के बढ़ाने के लिए प्रवासी भारतीय पुरस्कार भी मिल चुका है।

क्यों दी जा रही फांसी की सजा ?

विदेशी मीडिया में चल रही खबर की मानें तो, जिन 8 भारतीयों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है, उन पर इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप हैं। हालांकि, अभी तक कतर सरकार ने, इन 8 भारतीयों पर लगाए गए आरोपों का कोई खुलासा नहीं किया है।

अब क्या करेगा भारत?

कतर में अचानक भारतीय नौसेनिकों को फांसी देने के निर्णय ने भारत सरकार को भी चौंका दिया है। विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान में भी कहा गया है कि, 'कतर के इस फैसले से उन्हें झटका लगा है। मंत्रालय अभी कोर्ट के पूरे सुनवाई का इंतजार कर रहा है। साथ ही इस मामले में हर तरह से लीगल सहयोग देने के लिए तत्पर है। ऐसे में प्रश्न है कि क्या भारत इन 8 पूर्व भारतीय नौसेनिकों की फांसी को रोक सकता है?

फांसी कैसे रोकेगा भारत?

अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने मामले को संवेदनशील और गुप्त बताया है। इसका मतलब है कि भारत सरकार कोर्ट केस के चार्ज जानती है। हालांकि अगर आरोप गंभीर हैं और कोर्ट में सिद्ध हो चुके हैं, तब भी भारत सरकार डिप्लोमेसी के रास्ते से अपने नागरिकों को फांसी की सजा से बचा सकती है। भारत और कतर लंबे समय से अच्छे राजनयिक और व्यापारिक संबंध साझा करते हैं। इन संबंधों के दम पर भारत सरकार कतर के अमीर से इन भारतीयों की सजा माफ करवाने के प्रयास कर सकती है। कतर के अमीर हर साल 18 दिसंबर को कतर के राष्ट्रीय दिवस पर अपराधियों की सजा माफ करते हैं। बता दें, हर साल कतर के अमीर 18 दिसंबर यानी कतर के नेशनल डे के दिन दोषियों की सजा माफ करते हैं। ऐसे में अगर कतर में भारतीयों पर लगे चार्ज सही है, तो भारत सरकार के पास, सजा माफी का यही एक रास्ता है।

पिछले साल हुई थी केस की शुरुआत :

बता दें, कतर में भारतीय जवानों पर इस केस की शुरुआत पिछले साल हुई थी। 22 अगस्त 2023 को कतर की Intelligence Agency- State Security Bureau ने इन सभी भारतीयों को रात में गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के एक महीने तक कतर में भारतीय एंबेसी या फिर अफसरो के परिवार को अरेस्ट की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। सितंबर में पहली बार इन अफसरों को अपने परिवार से बात करने की इजाजत मिली। वहीं पहली बार अक्टूबर 2022 में Indian Diplomats को इस मामले में शामिल किया गया। इस केस का कोर्ट ट्रायल इस साल मार्च में शुरू हुआ था। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार 3 अक्टूबर को इस केस की 7 वीं सुनवाई हुई थी। खुद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मामले को अपनी प्राथमिकता बताया था। साथ ही भारतीय विदेश मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेने की बात कही थी।

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