विश्व आदिवासी दिवस
विश्व आदिवासी दिवसSyed Dabeer Hussain - RE

क्यों मनाया जाता है विश्व आदिवासी दिवस? जानिए इस दिन का उद्देश्य और इतिहास

इतनी अधिक आबादी होने के बावजूद भी आदिवासियों को कई बार अपने सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है।

हाइलाइट्स :

  • आज का यह खास दिन आदिवासियों को ही समर्पित है।

  • भारत में कुल आबादी की करीब 8 फीसदी आबादी आदिवासी लोगों की है।

  • साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 104 मिलियन लोग आदिवासी हैं।

  • दुनियाभर के करीब 90 से भी अधिक देशों में आदिवासी निवास करते हैं।

विश्व आदिवासी दिवस : दुनिया भर में आज यानि 9 अगस्त के दिन विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उदेश्य पूरी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले आदिवासियों का अस्तित्व दुनिया के सामने रखना और उनके अधिकारों को बढ़ावा देना है। गौरतलब है कि आदिवासी हमेशा से कई सामाजिक परेशानियों का सामना करते रहे हैं। ऐसे में हर देश की सरकारें इनकी हिफाजत और इन्हें सम्मान दिलाने के उद्देश्य से कड़े कदम उठाती रहती हैं। आज का यह खास दिन भी आदिवासियों को ही समर्पित है। तो चलिए जानते हैं विश्व आदिवासी दिवस क्या है? इस दिन का इतिहास क्या है? और इस दिन से जुड़ी खास बातें।

भारत में कितने हैं आदिवासी?

आज यदि समूचे भारत में देखा जाए तो कुल आबादी की करीब 8 फीसदी आबादी आदिवासी लोगों की है। यानि आंकड़ों में साल 2011 की जनगणना के अनुसार देश में कुल 104 मिलियन लोग आदिवासी हैं। वहीँ देश में सबसे अधिक आदिवासी लोग मध्य प्रदेश में निवास करते हैं। राज्य में रहने वाली कुल आबादी में से करीब 15 मिलियन लोग आदिवासी हैं।

क्या है इस दिन का इतिहास?

दरअसल इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले साल 1982 के दौरान जिनेवा में आयोजित एक बैठक में हुई थी। इस बैठक में मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को लेकर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की एक बैठक का आयोजन किया गया था। इस दौरान संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यह निर्णय लिया था कि आदिवासी लोगों के लिए हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया जाना चाहिए। जिसके बाद पहली बार दिसम्बर 1994 में महासभा ने इस दिन को मनाने का फैसला किया था।

क्या है इस दिन का उद्देश्य?

आज दुनियाभर के करीब 90 से भी अधिक देशों में आदिवासी निवास करते हैं। ये आदिवासी जंगलों से लेकर कस्बों और नगरों में निवास करते हैं और हजारों प्रकार की भाषाएँ बोलते हैं। इतनी अधिक आबादी होने के बावजूद भी आदिवासियों को कई बार अपने सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ता है। आदिवासियों की इसी अवस्था को देखते हुए उनके अधिकारों और अस्तित्व के संरक्षण के लिए इस दिन को खासतौर पर मनाया जाता है।

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