हाइलाइट्स
मन की बात कार्यक्रम में पीएम ने की छत्तीसगढ़ के रेडियो प्रोग्राम की तारीफ।
पद्म सम्मान से सम्मानित छत्तीसगढ़ के 'हेमचंद मांझी' का किया जिक्र।
छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के 4 केन्द्र।
PM Modi Mann Ki Baat Program : रायपुर, छत्तीसगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 109 वां एपिसोड संपन्न हुआ। मन की बात कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के एक कम्युनिटी रेडियो का जिक्र किया और उसकी सराहना की। आज जहाँ लोग बिना सोशल मीडिया और टीवी के जीवन को असंभव मानते है उस दौर में छत्तीसगढ़ में लोग कम्युनिटी रेडियो को आज भी सुनते है। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ में हाथियों से बचाव के लिए पिछले साल सालों से रेडियो पर प्रसारित हो रहे 'हमर हाथी हमर गोठ' कार्यक्रम के साथ पद्म सम्मान से सम्मानित छत्तीसगढ़ के 'हेमचंद मांझी' का भी जिक्र किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि, मेरे प्यारे देशवासियो, ‘मन की बात’ के जरिए हमारा और आपका जो रिश्ता बना है, वो एक दशक पुराना हो चुका है। सोशल मीडिया और इन्टरनेट के इस दौर में भी रेडियो पूरे देश को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। रेडियो की ताकत कितना बदलाव ला सकती है, इसकी एक अनूठी मिसाल छत्तीसगढ़ में देखने को मिल रही है। बीते करीब 7 वर्षों से यहाँ रेडियो पर एक लोकप्रिय कार्यक्रम का प्रसारण हो रहा है, जिसका नाम है ‘हमर हाथी - हमर गोठ’। नाम सुनकर आपको लग सकता है कि रेडियो और हाथी का भला क्या Connection हो सकता है, लेकिन यही तो रेडियो की खूबी है।
रेडियो प्रसारण की जानकारी ग्रामीणों के आते है बहुत काम :
छत्तीसगढ़ में आकाशवाणी के चार केन्द्रों अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर और रायगढ़ से हर शाम इस कार्यक्रम का प्रसारण होता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि छत्तीसगढ़ के जंगल और उसके आसपास के इलाके में रहने वाले बड़े ध्यान से इस कार्यक्रम को सुनते हैं। ‘हमर हाथी - हमर गोठ’ कार्यक्रम में बताया जाता है कि हाथियों का झुण्ड जंगल के किस इलाके से गुजर रहा है। ये जानकारी यहाँ के लोगों के बहुत काम आती है। लोगों को जैसे ही रेडियो से हाथियों के झुण्ड के आने की जानकारी मिलती है, वो सावधान हो जाते हैं।
भविष्य में हाथियों के संरक्षण में मिलेगी मदद
जिन रास्तों से हाथी गुजरते हैं, उधर जाने का ख़तरा टल जाता है। इससे जहाँ एक ओर हाथियों के झुण्ड से नुकसान की संभावना कम हो रही है, वहीँ हाथियों के बारे में Data जुटाने में मदद मिलती है। इस Data के उपयोग से भविष्य में हाथियों के संरक्षण में भी मदद मिलेगी। यहाँ हाथियों से जुड़ी जानकारी Social Media के जरिए भी लोगों तक पहुंचाई जा रही है। इससे जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को हाथियों के साथ तालमेल बिठाना आसान हो गया है। छत्तीसगढ़ की इस अनूठी पहल और इसके अनुभवों का लाभ देश के दूसरे वन क्षेत्रों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं।
हर्बल मेडिसीन के संरक्षण में हेमचंद जी जैसे लोगों की बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री ने मन की बात में वैद्यराज हेमचंद मांझी का जिक्र करते हुए कहा कि, छत्तीसगढ़ के हेमचंद मांझी उनको भी पद्म सम्मान मिला है। वैद्यराज हेमचंद मांझी भी आयुष चिकित्सा पद्धति की मदद से लोगों का इलाज करते हैं। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में गरीब मरीजों की सेवा करते हुए उन्हें 5 दशक से ज्यादा का समय हो रहा है। हमारे देश में आयुर्वेद और हर्बल मेडिसीन का जो खजाना छिपा है, उसके संरक्षण में हेमचंद जी जैसे लोगों की बड़ी भूमिका है।
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