तानसेन समारोह की शाम : संगीत सम्राट को संगीत साम्राज्ञी की रसभीनी स्वरांजलि
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। तानसेन समारोह के भव्य मंच पर बुधवार की शाम संगीत साम्राज्ञी पद्मभूषण बेगम परवीन सुल्ताना ने अपने बेजोड़ स्वरों की आंच से रात को गर्मा दिया, वहीं सरगम, पल्टों और गमक से सजे उनके गायन से झरी तानों ने ऐसा शीतल शामियाना तान दिया मानो गर्मी से दहकते दिन में अचानक घनघोर बादल गर्माहट को शीतलता में तब्दील करने के लिए आ गए हों।
सुल्ताना ने मधुर राग मारू बिहाग का चयन किया। इस राग में उन्होंने एक ताल में निबद्ध बड़ा ख्याल कैसे बिन साजन रहा न जाए से अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए तीन ताल में छोटा ख्याल कवन न कीन्हों पेश कर रसिकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह भी पढ़े :
उनकी तानें झरने की तरह बहती लगीं तो अलाप उतने ही गंभीर और उस तरह गहरे थे जैसे किसी गहरे कूप में से ऊपर की ओर ध्वनियां उठ रहीं हों। उनके गायन में जितनी मिठास तार सप्तक में दिखी, उतनी ही बुलंदी मंद्र सप्तक के स्वरों में भी साफ नजर आई। ऐसी विविधता निस्संदेह एक कठिन साधना से ही संभव है। तकरीबन मध्य लय से उठे कल्याण थाट के मीठे राग मारू बिहाग को कुछ इस अंदाज में पेश किया कि पंचम लगते-लगते गुणीय रसिक संगीत साम्राज्ञी के कायल हो गए। क्लिष्ट और तार सप्तक को छूती तानों पर सुधीय रसिकों की वाह-वाह और तालियां भी सुर मिला रही थी।
उन्होंने राग मिश्र पीलू में बरकत अली खान की प्रसिद्ध ठुमरी तुम राधे बनो श्याम गाकर पूर्व अंग की गायिकी का जादू बिखेर दिया। श्रोताओं की फरमाइश पर फि ल्म कुदरत के अपने गीत हमें तुमसे प्यार है कितना ये हम नहीं जानते गाकर सुनाया और राग मिश्र भैरवी में प्रसिद्ध भजन भवानी दयानी महा बाकवानी.... ताल झपताल में पिरोकर सुनाया ओर अपने गायन को विराम दिया। तबले पर मुकुंद रामदेव और हारमोनियम पर श्रीनिवास आचार्य ने संगत दी।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।